पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड की एक और अड़ंगेबाज़ी सामने आई है। उसने
इंटरनैशनल क्रिकेट काउंसिल से कहा है कि अगर भारत 2025 में होने वाली
चैम्पियंस ट्रॉफी में भाग लेने के लिए पाकिस्तान नहीं आता तो वह उसे इस
बात की वित्तीय गारंटी दे कि उससे होने वाले नुकसान की भरपाई आईसीसी
करेगा।
आपको याद होगा कि पिछले दिनों आईसीसी के चेयरमैन ग्रेग बार्कले और सीईओ
ज्योफ एलार्डिस लाहौर गए थे जहां पीसीबी के अध्यक्ष नजम सेठी से उनकी
मुलाकात हुई थी जहां पीसीबी ने चैम्पियंस ट्रॉफी के होस्टिंग एग्रीमेंट
पर साइन करने से मना कर दिया था। ज़ाहिर है कि भारत की चैम्पियंस ट्रॉफी
में भागीदारी की बात उस समय भी उठी थी।
इसमें कोई दो राय नहीं कि पीसीबी से कोई भी ब्रॉडकास्टर भारत-पाकिस्तान
मैच को ध्यान में रखते हुए ही करार करता है। अगर भारत-पाकिस्तान मैच ही
नहीं होगा तो ऐसे करार का कोई मतलब नहीं रह जाता। पीसीबी जानता है कि
बीसीसीआई ने टीम इंडिया के एशिया कप में भाग लेने को लेकर हामी भरी है।
यहां तक कि पाकिस्तान के हाईब्रिड मॉडल को भी हरी झंडी दिखाई है। ज़ाहिर
है कि एशिया कप में भारत अपने सभी मैच पाकिस्तान की मेजबानी में श्रीलंका
में खेलेगा। ऐसा दो साल बाद होने वाली चैम्पियंस ट्रॉफी में भी हो सकता
है। इसमें कोई दो राय नहीं कि दो साल बाद भी टीम इंडिया को पाकिस्तान में
खेलने की अनुमति सरकार से मिलने वाली नहीं है लेकिन उसके लिए हाईब्रिड
मॉडल जो पाकिस्तान का ही सुझाया हुआ है, के आधार पर चैम्पियंस ट्रॉफी में
भी भारत किसी अन्य देश में खेल सकता है।
दरअसल पीसीबी का एशियाई क्रिकेट काउंसिल (एसीसी) से एग्रीमेंट हुआ है कि
अगर भारत एशिया कप से हटता है तो एसीसी उसे वित्तीय मुआवजा देगा। यही वह
आईसीसी से चैम्पियंस ट्रॉफी के लिए चाहता है। वैसे भी आईसीसी आज
भारत-पाकिस्तान के वर्ल्ड कप मैच को हर कीमत पर कराना चाहती है। उसे लेकर
कोई खतरा है भी नहीं, लेकिन पीसीबी का इसकी अनुमति देने की शर्त पर
चैम्पियंस ट्रॉफी के लिए सौदेबाज़ी करना वास्तव में खेल भावना के विपरीत
कदम ही कहा जा सकता है, जिसकी जितनी भर्त्सना की जाए, कम है।