दलीप ट्रॉफी की बड़ी खोज साबित हुए हैं कावेरप्पा, फास्ट बॉलिंग की हैं नई सनसनी

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बेशक दलीप ट्रॉफी क्रिकेट में साउथ ज़ोन का पलड़ा भारी है लेकिन वेस्ट
ज़ोन के लिए भी जीत का रास्ता पूरी तरह बंद नहीं हुआ है। मगर इस
टूर्नामेंट में चैम्पियन की रेस से भी ज़्यादा चर्चा का विषय विदवथ
कावेरप्पा हैं। एक ऐसा नाम, जिसने एक साल के घरेलू क्रिकेट के अपने करियर
में  तेज़ गेंदबाज़ी के मायने ही बदल दिए हैं और उन्हें अपनी बॉलिंग के
दम पर रिकॉर्डतोड़ कामयाबी हासिल हुई है।

कावेरप्पा ने सेमीफाइनल में नॉर्थ ज़ोन के खिलाफ पारी में पांच विकेट
चटकाए और अन्य पारी में उन्हें दो विकेट हासिल हुए लेकिन फाइनल में पहली
पारी में सात विकेट चटकाकर उन्होंने अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा लिया। इन
सात विकेटों में चेतेश्वर पुजारा, सूर्यकुमार यादव और सरफराज़ खान के
विकेट शामिल हैं। अगर वेस्ट ज़ोन का पहली पारी में कॉलेप्स हुआ है तो
उसकी एकमात्र वजह कावेरप्पा हैं। उनकी घातक गेंदबाज़ी का ही यह परिणाम था
कि वेस्ट ज़ोन ने अपने आखिरी नौ विकेट केवल 49 रन में खो दिए।

कावेरप्पा कर्नाटक राज्य क्रिकेट एसोसिएशन के टैलंट हंट योजना की देन
हैं। उनमें छिपी प्रतिभा को देखते हुए उन्हें आईपीएल में पंजाब किंग्स की
टीम में चुना गया। सैमुअल जवराज उनके कोच हैं। जवराज इससे पहले केएल
राहुल के रूप में एक टिकाऊ बल्लेबाज़ को भी तैयार कर चुके हैं। कावेरप्पा
कर्नाटक के मादिकेरी से आते हैं। इस जगह से आम तौर पर भारतीय एथलीट और
हॉकी के खिलाड़ी तैयार होते हैं। एक समय टीम इंडिया के तेज़ गेंदबाज़
जवागल श्रीनाथ ने उन्हें मैंगलुरु में बुलाकर ट्रेनिंग दी। फिर भी वह
अपने खेल में निखार का पूरा श्रेय कर्नाटक क्रिकेट एसोसिएशन की टैलंट हंट
योजना को देते हैं।

क्रिकेट के लिए ही कावेरप्पा बैंगलुरु आ गए, जहां वह अंडर 19 और अंडर 23
का क्रिकेट खेले और साथ ही स्थानीय डिविजन में भी उन्हें अपनी गेंदबाज़ी
को निखारने का अनुभव मिला। पुढुचेरी के खिलाफ पिछले साल उन्हें अपने रणजी
करियर की शुरुआत करने का मौका मिला। इस सीज़न में उन्होंने आठ मैचों में
30 विकेट हासिल किए। इस साल आरसीबी की ओर से खेलने वाले विजय कुमार विषयक
के साथ उनकी जोड़ी खूब जमी।

कावेरप्पा की सबसे बड़ी खूबी यह है कि वह किसी भी चीज़ को बहुत जल्दी
सीखते हैं। उनका मैच्योरिटी का स्तर काफी ऊंचा है। फिटनेस पर वह खास तौर
पर ध्यान देते हैं। रिकवरी टाइम का ख्याल रखना उनकी प्राथमिकता रहती है।
शायद यही वजह है कि जब भी उन्हें किसी भी स्पैल में गेंदबाज़ी के लिए
बुलाया जाता है तो वह एकदम तरोताज़ा दिखाई देते हैं।

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