मनोज कुमार
आईपीएल 2025 में बीसीसीआई ने सभी टीम मालिकों और खिलाड़ियों को हैदराबाद के एक बिजनेसमैन से सतर्क रहने की चेतानवी दी है। बोर्ड ने कोच, सपोर्ट स्टाप और कमेंटेटरों को भी अलर्ट किया है कि एक संदिग्ध बिजेसमैन लीग में शामिल व्यक्तियों को फंसाने की कोशिश कर रहा है। एंटी करप्शन सिक्योरिटी यूनिट (एसीएसयू) का कहना है कि सट्टेबाजों का सीधा संबंध हैदराबाद का बिजनेसमैन है, वह लीग में खिलाड़ियों के सम्पर्क में रहने की कोशिश कर रहा है। इस बिजनेसमैन का फिक्सिंग का पुराना रिकॉर्ड है और कई बुकीज़ के वह सम्पर्क में है।
एसीएसयू ने सभी आईपीएल फ्रैंचाइजी से आग्रह किया है कि वे उस बिजनेसमैन के साथ किसी भी तरह की बातचीत से बचें और उसके साथ किसी भी तरह के कनेक्शन का भी खुलासा करें। ऐसा माना जा रहा है कि एसीएसयू ने लीग में शामिल सभी पक्षों से सावधानी बरतने का आग्रह किया है। रिपोर्ट के अनुसार वह व्यक्ति आभूषणों सहित महंगे गिफ्ट के साथ फंसाता है।
बिजनेसमैन खिलाड़ियों से दोस्ती करने की कोशिश में है
रिपोर्ट के अनुसार बिसनेसमैन फैन बनकर प्लेयर्स के करीब आने की कोशिश कर रहा है। उसे कई टीम के होटलों और मैचों में देखा गया है। वह खिलाड़ियों और सपोर्ट स्टाफ से दोस्ती करने की कोशिश कर रहा है और निजी पार्टियों का न्योता दे रहा है। ऐसा भी पता चला है कि वह ना केवल टीम के सदस्यों बल्कि उनके परिवारों को भी गिफ्ट दे रहा है।
आईपीएल में मैच फिक्सिंग के मामले
पहली बार आईपीएल मैच में फिक्सिंग का मामला 2010 में सामने आया था। उस समय ब्रिटिश अखबार द टेलिग्राफ के अनुसार साउथ अफ्रीका में आईपीएल स्पॉट फिक्सिंग की गई थी लेकिन उसका कोई पुख्ता सबूत मिला था।
आईपीएल के छठे सीजन में 2013 में मैच फिक्सिंग का आरोप लगा था जिसमें राजस्थान रॉयल्स के तीन खिलाड़ी – एस श्रीसंत, अजित चंदीला और अंकित चव्हाण को दिल्ली पुलिस गिरफ्तार किया था। हालांकि लाग चलती रही और राजस्थान रॉयल्स पर दो साल का बैन लगा था। खिलाड़ियों को कोर्ट से लंबी लड़ाई के बाद क्लीन चिट मिल गई, लेकिन उसके बाद उसका करियर खत्म हो गया।
सीएसके टीम पर भी दो साल का बैन लगा था। सीएसके के मालिक एन श्रीनीवासन के दामाद गुरुनाथ मयप्पन पर भी धोखाधड़ी के आरोप लगे थे। हालांकि बाद में कोर्ट ने इस मामले में उन्हें भी क्लीन चिट दी।
साल 2018 में भी कुछ खिलाड़ियों और सट्टेबाजों के बीच बातचीत की खबरें आई थीं लेकिन BCCI ने जांच के बाद ठोस सबूत न मिलने की बात कही। इसके अलावा सोशल मीडिया पर हर साल कुछ वायरल वीडियो सामने आते हैं, जिनमें अम्पायरिंग या खिलाड़ियों की हरकतों को लेकर सवाल उठते हैं लेकिन इसका कोई ठोस सबूत नहीं होता है।