डिफेंडिंग चैंपियन इंग्लैंड छह मैचों के बाद इस वर्ल्ड कप में पॉइंट्स टेबल में सबसे नीचे है। उनके इस निराशाजनक प्रदर्शन के चलते 2025 में होने वाली चैपियन्स ट्रॉफी के लिए इंग्लैंड का क्वालिफिकेशन भी खतरे में आ चुका है। वर्ल्ड कप से पहले किसी ने सोचा भी नहीं रहा होगा कि इंग्लैंड जैसी तगड़ी टीम इस कदर जूझेगी। बल्ले और गेंद दोनों मोर्चो पर यह टीम फेल हो गई है। गेंदबाजी तो जोश बटलर की टीम की पहले ही कमजोर लग रही थी लेकिन आलराउंडरो की भरमार और बेखौफ बल्लेबाजी इस टीम को वर्ल्ड कप का सबसे प्रबल दावेदार बना रहे थे। शुरूआत के दो मुकाबले (282 vs न्यूज़ीलैंड और 364 vs बांग्लादेश ) छोड़ दे तो इंग्लिश टीम बचे चार मैचों में सिर्फ एक में 200 रनों के पार गई है, इन मुकाबलों में भारत के खिलाफ 100 रनों से और साउथ अफ्रीका से 229 रनों के बड़े अंतर से हार भी शामिल है।
इंग्लैंड टीम में 2015 वर्ल्ड कप में शर्मनाक प्रदर्शन के बाद बदलाव हुए थे। मैनेजमेंट ने उम्रदराज खिलाड़ियों को टीम से बाहर किया और कुछ नए युवा खिलाड़ियों के साथ टीम आगे बढ़ी। इयान मोर्गन की कप्तानी में इस टीम ने एक अलग ब्रैंड की क्रिकेट खेलना शुरू किया जिसका उसे फायदा भी मिला। हाई रिस्क और बेखौफ तरीके से खेलते हुए इस टीम ने वनडे वर्ल्ड कप अपने घर में और फिर टी-20 वर्ल्ड कप ऑस्ट्रेलिया में जीता था लेकिन शायद जोश बटलर यह भूल गए थे कि 2023 वर्ल्ड कप भारतीय उपमहाद्वीप में हो रहा है। उपमहाद्वीप की कंडीशन अन्य दोनों देशों से बिल्कुल अलग है। स्पिन मददगार पिचों पर वनडे को टी-20 अंदाज में खेलना मौजूदा चैंपियन को भारी पड़ा है। वर्ल्ड कप में इंग्लैंड की बुरी हालत देख यह कहना तो मुनासिब होगा कि भारत में इंग्लिश टीम बैजबॉल से हटकर दूसरी रणनीति के साथ खेलती तो परिणाम कुछ और हो सकता था। इंग्लैंड ने पिछले वर्ल्ड कप से इस वर्ल्ड कप के दौरान 2015 से 2019 की तुलना में कम मुकाबले खेले हैं। इस टीम के बुरे प्रदर्शन का एक कारण ज्यादा वनडे न खेलना भी है, जहां उसके खिलाड़ी फार्मेट के अनुरूप अपने आप को ढ़ाल नही पा रहे हैं।
इस वर्ल्ड कप में इंग्लैंड की बल्लेबाजी पूरी तरह से असफल रही। बेन स्टोक्स और जो रूट की वनडे सेटअप में वापसी भी इस टीम के लिए उपयोगी नहीं साबित हुई है। गेंदबाजी में आदिल रशीद के अलावा अन्य इंग्लिश गेंदबाज मार्क वुड, डेविड विली और रीच टापले साधारण रहे। यहां से अब यहीं उम्मीद की जा रही है कि जैसे 2015 के बाद इंग्लिश बोर्ड ने अपने क्रिकेटिंग ढ़ाचे में बदलाव किए थे, वैसा ही कुछ अब इस वर्ल्ड कप के बाद हो सकता है।