भारतीय टीम मैनेजमेंट से लेकर सेलेक्टर्स ने यह तय कर लिया है कि टेस्ट मैचों में अपेक्षित परिणाम देने के लिए पॉज़ीटिव सोच होना ज़रूरी है। इसीके मद्देनज़र खिलाड़ियों को सलाह दी गई है कि मैदान में टेम्परामेंट से खेलना बेसिक चीज़ है लेकिन मैच जीतने के लिए आक्रामक शैली में खेलने की हर बल्लेबाज़ को आदत डालनी होगी।
ज़ाहिर है कि टीम मैनेजमेंट ने यह सोच सब खिलाड़ियों में विकसित करने की ठान ली है। इसी सोच की वजह से टीम इंडिया ने ऑस्ट्रेलिया को ऑस्ट्रेलिया में लगातार दो सीरीज़ में हराया है। यही वजह है कि आज टीम में प्लेइंग इलेवन को लेकर केएल राहुल और श्रेयस अय्यर को लेकर सबसे बड़ी बहस छिड़ी हुई है। इसमें कोई दो राय नहीं कि केएल राहुल तकनीकी तौर पर ज़्यादा मज़बूत बल्लेबाज़ हैं जबकि श्रेयस अय्यर की शॉर्ट गेंद के सामने कमज़ोरी जगज़ाहिर है और कई बार आक्रामक खेलते हुए वह अपना धैर्य भी खो बैठते हैं लेकिन इस सबके बावजूद राहुल द्रविड़ चाहते हैं कि श्रेयस अय्यर ही इंग्लैंड के खिलाफ टेस्ट सीरीज़ के पहले दो मैचों में खेलें। उसकी बड़ी वजह यह है कि श्रेयस स्ट्रोक प्लेयर हैं और उनका अटैकिंग खेल और अटैकिंग सोच उन्हें अन्य किसी भी बल्लेबाज़ से अलग साबित करती है। जब से ऋषभ पंत टीम में नहीं हैं, तब से इस सोच को और भी बल मिला है। इसीलिए श्रेयस की पॉज़ीटिव सोच उनके पक्ष में जाती है।
हालांकि साउथ अफ्रीका के खिलाफ पिछली टेस्ट सीरीज़ में केएल राहुल ने श्रेयस से बेहतर प्रदर्शन किया था। मगर राहुल द्रविड़ जानते हैं कि घरेलू पिचों में श्रेयस केएल राहुल से बेहतर माइंडसेट से अच्छे परिणाम दे सकते हैं। श्रेयस को अभी तक बड़ी क़ामयाबी या तो भारतीय पिचों पर मिली है या बांग्लादेश की ज़मीं पर। कानपुर में न्यूज़ीलैंड के खिलाफ और बैंगलुरु में श्रीलंका के खिलाफ उन्हें मिली क़ामयाबी इसकी बड़ी मिसाल है। द्रविड़ ने साफ कर दिया है कि इंग्लैंड के खिलाफ प्लेइंग इलेवन में जगह पाने के लिए उन्हें रणजी ट्रॉफी में शानदार प्रदर्शन करना होगा। पहले रणजी मैच में श्रेयस आंध्र प्रदेश के खिलाफ सौ की स्ट्राइक रेट से खेलते हुए दिखे लेकिन वह अपनी पारी को बहुत आगे तक नहीं पहुंचा पाए।
अब चूंकि इंग्लैंड के खिलाफ सीरीज़ भारतीय ज़मीं पर है, इसे देखते हुए श्रेयस टीम इंडिया के लिए राइट चॉयस हैं। वैसे आदर्श स्थिति तो यह होती कि इंग्लैंड के खिलाफ प्लेइंग इलेवन में श्रेयस भी खेलते और केएल राहुल भी लेकिन जब से केएल राहुल ने टेस्ट में विकेटकीपिंग न करने का फैसला किया है, तब से प्लेइंग इलेवन में यह समस्या खड़ी हो गई है क्योंकि अब केएस भरत को खिलाना भारत की मज़बूरी बन गई है और उनकी बल्लेबाज़ी का स्तर श्रेयस और राहुल के आस-पास भी नहीं है। यहीं टीम इंडिया की सबसे बड़ी समस्या है।