अगर आपकी एक करोड़ रुपये की लॉटरी खुल जाए तो ज़ाहिर है कि आपके कदम
ज़मीन पर नहीं पड़ेंगे। मसलन आप उस राशि को खर्च करने की कई तरह से
प्लानिंग करेंगे। दोस्तों को पार्टियां देंगे और आपके चेहरे पर एक अलग ही
तरह के भाव होंगे लेकिन महेंद्र सिंह धोनी इससे एकदम अलग हैं। वर्ल्ड कप
जीतना तो एक करोड़ की लॉटरी से कई गुना बड़ी उपलब्धि है लेकिन धोनी जैसे
वर्ल्ड कप के बिना दिखते हैं, वैसे ही वर्ल्ड कप ट्रॉफी के साथ दिखते
हैं।
यह उनकी लीडरशिप क्वालिटी का ही कमाल था कि जो काम टीम इंडिया पिछले दस
साल में नहीं कर पाई है, वह काम तीन बार धोनी की कप्तानी में टीम इंडिया
ने किया। पहले टी-20 वर्ल्ड कप, फिर वनडे का वर्ल्ड कप और फिर चैम्पियंस
ट्रॉफी का खिताब। इनमें पहला कमाल उन्होंने युवा टीम के साथ किया। यहां
तक कि उनके बाद भी टीम इंडिया में कई धाकड़ खिलाड़ी हुए मगर टीम आईसीसी
टूर्नामेंट नहीं जीत पाई। माही की प्रयोग करने की आदत ने भी टीम इंडिया
को चैम्पियन बनाने में बड़ा काम किया। 2007 के टी-20 वर्ल्ड कप में
उन्होंने उस समय कप्तानी की जब सचिन, द्रविड़, गांगुली और लक्ष्मण के
बिना भारतीय टीम की कल्पना भी नहीं की जा सकती थी। मगर बिना दिग्गजों के
युवाओं खिलाड़ियों के साथ उतरने के फैसले में उनका बड़ा हाथ रहा। एक अन्य
मौके पर उन्होंने साफ कर दिया कि सचिन, सहवाग और गम्भीर को बारी-बारी से
खिलाया जाए क्योंकि इससे टीम इंडिया की फील्डिंग प्रभावित होती है। इसी
तरह 2015 के वर्ल्ड कप में युवराज, हरभजन, ज़हीर खान और मुनफ पटेल जैसे
दिग्गजों को बाहर बैठाने का फैसला भी उन्हीं का था। युवी पिछले वर्ल्ड कप
के प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट थे।
माही को खेल की अच्छी समझ है। इसीलिए विपक्षी टीम के बल्लेबाज़ की
कमज़ोरियों का बारीकी से जायज़ा लेने के बाद वह अपने गेंदबाज़ों को फील्ड
पर नसीहत देते थे और गेंद को किस लेंग्थ पर किस जगह पिच करना है, इसकी वह
जानकारी दिया करते थे। शायद यही वजह है कि कुलदीप यादव ने जितना अच्छा
प्रदर्शन धोनी की कप्तानी में किया, वैसा प्रदर्शन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर
वह इसके बाद नहीं कर पाए। किसी भी तनावपूर्ण माहौल में शांत रहना और
नाजुक मौकों पर निर्णायक फैसले लेना उनकी कप्तानी की बड़ी खूबी रही है।
इतना ही नहीं, माही टीम इंडिया के सबसे फिट खिलाड़ियों में से एक रहे
हैं। उनकी खासकर विकेट के बीच की दौड़ गज़ब की थी।
आम तौर पर माही को टेस्ट का बेहतरीन खिलाड़ी नहीं कहा जाता जबकि ऐसा नहीं
है। 90 टेस्ट खेलने वाले इस खिलाड़ी के नाम 4876 रन हैं और 38.09 का औसत
है। टेस्ट में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ चेन्नै में उनकी डबल सेंचुरी को उनके
फैंस कभी नहीं भूल सकते। दरअसल क्रिकेट प्रेमी उनकी तुलना वनडे के धोनी
से करते हैं जो टेस्ट के धोनी पर भारी पड़ते हैं जबकि उनकी टेस्ट क्रिकेट
में ऋषभ पंत को छोड़कर अन्य भारतीय विकेटकीपरों से तुलना की जाए तो वह
वहां भी सवा सेर साबित होते हैं। हम उनके 42वें जन्मदिन के लिए इंडिया
न्यूज़ स्पोर्ट्स और क्रिकइट परिवार की ओर से उन्हें शुभकामनाएं देते
हैं।