कुलदीप यादव की लाइन और लेंग्थ में काफी सुधार हुआ है। वह बल्लेबाज़ को
उनकी गेंदों पर कहीं भी स्ट्रोक खेलने की आज़ादी नहीं देते। इससे भी
अच्छी बात यह है कि वह बल्लेबाज़ को अच्छे तरीके से पढ़ रहे हैं। उनका लय
में आना बल्लेबाज़ों के लिए अच्छी खबर नहीं है।
ऐसा कहना है कुलदीप यादव के कोच कपिल पांडे का। कुलदीप ने एशिया कप में
पाकिस्तान के खिलाफ पांच और श्रीलंका के खिलाफ चार विकेट हासिल करके टीम
इंडिया को उम्मीदें जगा दी हैं। अब कुलदीप पर स्वीप और रिवर्स स्वीप
खेलना भी खतरे से खाली नहीं है। आगा सलमान, असलंका और पथिराना कुछ इसी
तरह से उनके सामने आउट हुए। इस बारे में कपिल पांडे ने कहा कि अब वह
बल्लेबाज़ को बारीकी से पढ़ लेते हैं। उनकी गेंदों में स्पीड बढ़ी है।
उनकी गेंदें गुड लेंग्थ के आस-पास रहती हैं। उनकी कोशिश यही रहती है कि
वह बल्लेबाज़ों को सामने खेलने के लिए विवश करें। वेस्टइंडीज़ में बाएं
हाथ के बल्लेबाज़ उनके सामने काफी परेशान दिखाई दिए थे। पहले लेफ्टी
बल्लेबाज़ उनके सामने ज़्यादा स्वीप करते थे। हमने उस पर काफी काम किया।
इस बार एशिया कप में शादाब या समरविक्रमा उन पर बड़ा शॉट खेलते हुए आउट
हुए। कपिल पांडे कहते हैं कि पहले कुलदीप का ज़ोर ज़्यादा चाइनामैन
गेंदें डालने की ओर रहता था। वह तब गुगली कम करते थे। मगर अब वह बाएं हाथ
के बल्लेबाज़ों को भी गुगली फेंकते हैं। बल्लेबाज़ को पता नहीं चल पाता
कि गेंद अंदर आ रही है या बाहर। अब शॉर्ट बॉल उनकी न के बराबर होती है।
फ्लाइटेड़ पर फख्र ज़मान और शादाब को आउट करने के सवाल पर उन्होंने कहा
कि मैंने उन्हें समझाया है कि अगर हवा में फ्लाइट के साथ गेंद को ड्रिफ्ट
कराया जाएगा तो बल्लेबाज़ को मुश्किल होगी। शेन वॉर्न और मुरलीधरन इसका
खूब इस्तेमाल किया करते थे। यह पूछने कि कुलदीप की गेंदों पर एलबीडब्ल्यू
या बोल्ड सबसे ज्यादा होते हैं, इस बारे में उन्होंने कहा कि अब वह अब
ज़्यादा खुलकर बॉलिंग करते हैं। कप्तान का भी उन पर भरोसा बढ़ा है। उनकी
गेंदबाज़ी में भी मैच्योरिटी आई है। उन्होंने कहा कि बल्लेबाज़ जब लम्बे
शॉट खेलता है तो कुलदीप चाइनामैन या गुगली करते हैं। नहीं तो फ्लिपर और
टॉप स्पिन भी उनके अन्य हथियार होते हैं। अब तो उनकी गति को पढ़ पाने में
भी बल्लेबाज़ों को परेशानी होती है। उनका हाथ, पैर, बॉडी कोआर्डिनेशन
काफी अच्छा है।
कपिल पांडे का कहना है कि एशिया कप हो या वर्ल्ड कप, भारतीय स्पिन तिकड़ी
पर सबकी नज़रे हैं। जडेजा जहां एक छोर से आक्रमण करते हैं तो उसका फायदा
दूसरे छोर पर कुलदीप उठा सकते हैं। टीम में ऑफ स्पिनर न होने से इनका काम
बढ़ गया है। मेरा विश्वास है कि अपनी मैच्योर गेंदबाज़ी से वह ज़रूर ऑफ
स्पिनर की कमी की भरपाई कर सकेंगे। वैसे मेरा मानना है कि ऑफ स्पिनर की
उपयोगिता आज भी हर टीम को है। भज्जी और मुरलीधरन भी बहुत बड़े गेम चेंजर
साबित हुए हैं।
कपिल पांडे यह भी कहते हैं कि आईपीएल में जिसने इन पर छक्के लगाए, उन्हें
कुलदीप ने स्टम्प आउट भी कराया। मैंने उनमें यह विश्वास पैदा करने की
कोशिश की कि ऐसा कमाल वह अंतरराष्ट्रीय मैचों में भी कर सकते हैं। बाकी
टीम संयोजन सबसे अहम होता है। किसी एक खिलाड़ी के टीम में होने, न होने
से ज़्यादा महत्व इस बात का है कि टीम जीते। हर मैच को आखिरी मैच समझें।
आज की ज़रूरत के हिसाब से बल्लेबाज़ी के समय गेंदबाज़ को बल्लेबाज़ बन
जाना चाहिए। मुझे खुशी है कि टीम के वरिष्ठ सदस्यों की ओर से कुलदीप यादव
को काफी सपोर्ट मिल रहा है।