चुनौतियां बड़ी हैं पर यह दल सक्षम है इनका सामना करने के लिए

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बेशक हम कितना भी कहें कि वर्ल्ड कप के लिए चुनी टीम में कोई ऑफ स्पिनर
नहीं है, कोई लेफ्ट आर्म पेसर नहीं है, कोई लेग स्पिनर नहीं है लेकिन अब
इन सब बातों पर टिप्पणी करने का कोई मतलब नहीं है। जो टीम अजित आगरकर की
अगुवाई में चयन समिति ने राहुल द्रविड़ के परामर्श से चुनी है, अब उसी पर
हमें भरोसा करना चाहिए।

जिस तरह रोहित शर्मा ने टीम की घोषणा के समय कहा भी कि हमारा ज़ोर
ऑलराउंडरों पर था लेकिन सच यह है कि इस बार टीम को 1983 और 2011 वर्ल्ड
कप टीम जितने ऑलराउंडर नहीं मिले। जडेजा, हार्दिक पांड्या, अक्षर पटेल और
शार्दुल ठाकुर इस टीम के चार ऑलराउंडर हैं लेकिन इनमें खेलेंगे तीन ही।
यानी अक्षर और शार्दुल में से कोई एक। पिछले वर्ल्ड कप में जहां नम्बर
चार की पोज़ीशन हमें परेशान कर रहा था, इस बार नम्बर आठ की यही स्थिति
है। इस नम्बर तक बल्लेबाज़ी मज़बूत करने के लिए ही शार्दुल और अक्षर का
चयन किया गया है। इनके खेलने का मतलब यह है कि भारत अपने तीनों फ्रंटलाइन
पेसरों – बुमराह, शमी और सीराज में से किन्हीं दो को ही खिलाएगा। ऐसा
एशिया कप में भारत के पहले दो मैचों में भी देखने को मिला।

कहना बहुत आसान है कि भारत वाशिंग्टन सुंदर, रविचंद्रन अश्विन और चहल में
किसी एक को टीम में शामिल करता, लेकिन सवाल यह है कि किसकी जगह। क्या उन
अक्षर की जगह, जिन्होंने हाल में एक सधे हुए बल्लेबाज़ की तरह बल्लेबाज़ी
की है। बोर्डर-गावसकर ट्रॉफी में हम उनके इस हुनर को देख चुके हैं। वैसे
भी अश्विन पिछले डेढ़ साल में टीम इंडिया का वनडे में हिस्सा नहीं हैं।
सुंदर और चहल को भी बहुत कम मैच खिलाए गए हैं। ज़ाहिर है कि ये तीनों
गेंदबाज़ टीम इंडिया की स्कीम ऑफ थिंग्स का हिस्सा नहीं थे। वर्ल्ड कप से
ठीक पहले ऐसे बदलाव टीम के लिए महंगे साबित हो सकते थे।

भारत को चेन्नै, नई दिल्ली, पुणे, लखनऊ और बैंगलुरु में स्पिन ट्रैक पर
पांच लीग मैच खेलने हैं जहां आप जडेजा और कुलदीप के साथ अक्षर पटेल को
देख सकते हैं जबकि धर्मशाला, मुम्बई, कोलकाता और अहमदाबाद में संभव है कि
आपको अक्षर की जगह शार्दुल खेलते दिखें। भारतीय बल्लेबाज़ी मज़बूत है।
पाकिस्तान के खिलाफ ईशान और हार्दिक को छोड़कर बाकी का न चलना टीम के लिए
अलार्मिंग बेल की तरह है। फील्डिंग में स्तर गिरना और बॉलिंग में पकड़
खोना – इन दो पक्षों पर भी टीम को ध्यान देना होगा। पाकिस्तान के खिलाफ
32 रन में अपने आखिरी सात विकेट खोने वाली नेपाल टीम अगर भारत के खिलाफ
230 का स्कोर बना सकती है तो टीम इंडिया भी अपनी ग़लतियों से सीखकर ऐसा
कर सकती है। ज़ाहिर है कि इस टीम को लेकर अब चिंता नहीं करनी चाहिए बल्कि
यह समय है अपनी टीम को सपोर्ट करने का।

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