नमन गर्ग
रवींद्र जडेजा कभी अपनी गेंदबाजी और फील्डिंग के लिए मशहूर थे लेकिन पिछले पांच साल से उन्होंने टेस्ट क्रिकेट में भी जमकर रन बनाए। पिछले पांच साल से टेस्ट क्रिकेट में रवींद्र जडेजा की बैटिंग औसत 50 है जिसकी वजह से उनके करियर औसत भी 24 से बढ़कर 36 तक आ चुकी है।
पिछले 5 साल से भारतीय टॉप ऑर्डर ने रोहित शर्मा को छोड़कर टेस्ट क्रिकेट में ज्यादा अच्छा प्रदर्शन नहीं किया, वहीं जडेजा और ऋषभ पंत ने पिछले 5 साल से भारतीय बल्लेबाजी की जिम्मेदारी उठाई। जडेजा की 2018 से पहले टेस्ट क्रिकेट में कोई भी सेंचुरी नहीं थी लेकिन उसके बाद वह इस क्षेत्र में आगे बढ़े और आज उनके नाम चार सेंचुरी है। जडेजा की बल्लेबाजी में यह बदलाव तब दिखा, जब उन्हें 2018 में इंग्लैंड दौरे पर चार टेस्ट मैच नहीं खिलाए गए। फिर जब पांचवां टेस्ट खिलाया तो उन्होंने शानदार तकनीक दिखाते हुए मुश्किल परिस्थिति में 90 रन बनाए जिसके बाद से उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। उन्होंने केवल भारत या एशियाई कंडीशन में रन नहीं बनाए बल्कि न्यूजीलैंड, इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया की मुश्किल कंडीशंस में भी अपना लोहा मनवाया। एक और दिलचस्प बात यह है कि 2019 के बाद से जडेजा का औसत विराट कोहली से ज्यादा है टेस्ट क्रिकेट में। यही नहीं, वह 300 विकेट के भी बहुत करीब आ चुके हैं जिससे वह अपना नाम दिग्गज ऑलराउंडर के श्रेणी में शामिल कर सकते हैं। बांग्लादेश और भारत के इस टेस्ट मैच में भी आप लोगों ने देखा होगा कि जडेजा और रविचंद्रन अश्विन ने कैसे मुश्किल स्थिति से टीम को बाहर निकाला और सम्मानजनक स्कोर खड़ा किया। जडेजा सेंचुरी नहीं कर पाए लेकिन उनके 86 रन बहुत बहुमूल्य थे। जडेजा जब 2017 में ड्रॉप हुए थे तब उन्होंने अपनी तकनीक पर काम किया जिसकी वजह से उनका प्रदर्शन आगे आने वाले वर्षों में बहुत अच्छा रहा। उन्होंने अपने टेम्परामेंट और बैटिंग स्टांस पर भी काम किया जिसकी वजह से वह हिलती हुई गेंद को अच्छा खेलने लगे। 2018 से पहले उन्हें तेज गेंदबाज की स्विंग से बहुत दिक्कत होती थी और वह पहले या दूसरी स्लिप में अक्सर कैच आउट हो जाते थे लेकिन अब सुधार साफ नजर आ रहा है। अब भारतीय क्रिकेट फैंस यही आशा करते हैं कि रवींद्र जडेजा इसी तरह निरंतरता के साथ बल्लेबाजी में अच्छा प्रदर्शन करते रहें।