क्रिकेट के खेल में एक ओवर में छह छक्के लगना नायाब रिकॉर्ड माना जाता है। एक ओवर में 36 के अलावा अब 43 रन भी बन चुके हैं। भारत के युवा सलामी बल्लेबाज ऋतुराज गायकवाड़ ने ही एक ओवर में सात छक्के जमाकर यह कमाल किया था। लेकिन एक ऐसा मैच भी है जहां रिकॉर्ड्स की ऐसी बारिश हुई कि यकीन करना मुश्किल हो गया। इस मुकाबले में एक ओवर में 36 या 43 नहीं, बल्कि 77 रन बने। क्रिकेट के इतिहास का सबसे महंगा ओवर जहां गेंदबाज़ गेंदबाज़ी ही भूल गए।
दरअसल, यह अनोखा ओवर फरवरी 1990 में फेंका गया था। फर्स्ट क्लास क्रिकेट में क्राइस्टचर्च और कंटरबरी की टीम एक-दूसरे के आमने-सामने थीं। क्राइस्टचर्च ने पहले बल्लेबाजी करते हुए स्कोर बोर्ड पर 290 रनों का स्कोर खड़ा किया था। अब कंटरबरी के सामने लक्ष्य 291 रनों का था। कंटरबरी का बैटिंग ऑर्डर बुरी तरह से फ्लॉप रहा और टीम ने 196 रनों पर ही 8 विकेट खो दिए। आखिरी दो ओवरों में जीत के लिए 95 रन बनाने थे और क्राइस्टचर्च की जीत 100 प्रतिशत तय थी मगर पारी के सेकंड लास्ट ओवर में जो हुआ, उसे देखकर किसी को भी अपनी आंखों पर यकीन नहीं हुआ।
सेकंड लास्ट ओवर में गेंद न्यूज़ीलैंड के लिए चार टेस्ट मैच खेले हुए गेंदबाज़ बर्ट वेंस के हाथों में थी। वेंस ने ओवर की शुरुआत ही नो बॉल से की और फिर एक या दो नहीं, बल्कि वेंस ने एक के बाद एक कुल 16 नो बॉल्स डाली। 16 गेंदे फेकने के बाद वेंस के हाथों से पहली लीगल गेंद निकली, जिसको ली जर्मन ने बाउंड्री लाइन के पास पहुंचा दिया। जर्मन ने वेंस के इस ओवर में आठ छक्के लगाए, जिसमें से पांच तो लगातार एक के बाद एक आए। इसके साथ ही ओवर में पांच चौके भी जर्मन के बल्ले से निकले। आखिरी दो गेंदों पर दूसरे छोर पर खड़े बोर्ड ने भी पांच रन बटोरे और इस तरह ओवर में कुल 77 रन बन गए।
आखिरी ओवर में जीत के लिए क्राइस्टचर्च की टीम को 18 रनों की दरकार थी। आखिरी ओवर में गेंद स्पिन गेंदबाज इवान ग्रे को सौंपी गई। ग्रे ने पहली चार गेंदों पर चार चौके खाए और अब जीत कंटरबरी की जेब में दिख रही थी। हालांकि, तभी इस मैच में एक और टिवस्ट आया और पांचवीं गेंद पर सिर्फ एक सिंगल बटोरा गया। स्कोर बराबर हो चुका था और जीत के लिए कंटरबरी को आखिरी गेंद पर सिर्फ एक रन बनाने थे लेकिन आखिरी गेंद पर एक भी रन नहीं बना और मैच टाई रहा।