पिछले कुछ समय से बीसीसीआई की तोपें ईशान किशन पर तनी हुई हैं। इसकी वजह बीसीसीआई की ओर से कई बार फरमान जारी होने के बावजूद घरेलू क्रिकेट में न उतरकर बड़ौदा में पांड्या ब्रदर्स के साथ आईपीएल की तैयारी में जुटना था लेकिन घरेलू क्रिकेट से दूरी तो केएल राहुल और श्रेयस अय्यर ने भी बनाई है। क्या बीसीसीआई इन दोनों के प्रति भी उतना सख्त रुख अपनाएगी जितना कि वह ईशान किशन के खिलाफ अपनाती दिख रही है।
श्रेयस अय्यर के मामले की पूरी सच्चाई सामने आ गई है। उन्होंने मुम्बई क्रिकेट एसोसिएशन को लिखा कि वह अपनी इंजरी से पूरी तरह उबरे नहीं हैं इसलिए वह बड़ौदा के खिलाफ होने वाले रणजी ट्रॉफी के क्वॉर्टर फाइनल के लिए उपलब्ध नहीं हैं। उधर नैशनल क्रिकेट एकेडमी के स्पोर्ट्स साइंड एंड मेडिसन के प्रमुख नितिन पटेल ने राष्ट्रीय चयनकर्ताओं को अपनी रिपोर्ट में कहा है कि श्रेयस को कोई फ्रेश इंजरी नहीं है और वह चयन के लिए पूरी तरह से फिट हैं। दोनों की बातों में इस विरोधाभास का मतलब यह है कि श्रेयस के लिए रणजी नहीं, आईपीएल प्राथमिकता में है। वैसे भी पिछले वर्ष वह इंजरी की वजह से आईपीएल में उतरे नहीं थे। उस नुकसान की भी उन्हें भरपाई करनी है।
उधर केएल राहुल इंग्लैंड के खिलाफ हैदराबाद में पहले क्रिकेट टेस्ट में ही खेल पाए हैं। राजकोट टेस्ट से तीन दिन पहले बोर्ड ने उनके 90 फीसदी मैच फिट होने की बात स्वीकार की थी। जब वह बोर्ड की मेडिकल टीम की देखरेख में हैं तो उनके फिटनेस स्तर में और सुधार होना चाहिए था। मगर दो दिन पहले रिपोर्ट आती है कि वह रांची टेस्ट से बाहर हो गए हैं और उनके धर्मशाला में होने वाले पांचवें क्रिकेट टेस्ट में भी उतरने की सम्भावना बहुत कम है। यहां ऐसा लगता है कि टीम मैनेजमेंट को भी अंधेरे में रखा गया है क्योंकि रोहित शर्मा ने राजकोट टेस्ट की जीत के बाद कहा था कि राहुल रांची टेस्ट तक फिट हो जाएंगे। यहां रोहित किसी के बारे में इतनी स्पष्ट राय तभी रख सकते हैं जब उन्हें राहुल की ओर से रांची में खेलने को लेकर आश्वासन मिला हो।
डॉक्टरों का कहना है कि किसी भी खिलाड़ी की इंजरी से उबरने की प्रक्रिया इस बात पर निर्भर करती है कि वह इंजरी लेवल एक से लेकर तीन तक किस स्तर की है। आईपीएल और टी-20 वर्ल्ड कप के मद्देनज़र इस इंजरी से उनका उबरना ज़रूरी है। ऐसी स्थिति में विदेशी डॉक्टर की सलाह ली जा सकती है। मगर यहां चीज़ों को इतना आसान मान लिया गया है कि राहुल के लिए भी टीम इंडिया से खेलना उतना अहम नहीं रह जाता जितना की आईपीएल।
जब श्रेयस और राहुल जैसे अनुभवी खिलाड़ियों का यह हाल है तो फिर ईशान किशन पर सब कुछ मढ़ देना ठीक नहीं है। इस खिलाड़ी ने भी वनडे क्रिकेट में डबल सेंचुरी बनाई है। इसका भी दो टेस्ट मैचों का औसत 75 के आस-पास है। टी-20 फॉर्मेट में इस खिलाड़ी ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ जिस तरह से कई हाफ सेंचुरी लगाकर भविष्य की उम्मीदें जगाई हैं, उससे यह खिलाड़ी भी बड़े खिलाड़ियों जैसी छूट पाने का हक़दार बन जाता है। घरेलू क्रिकेट को नजरअंदाज़ करने की ग़लती तीनों ने की है। ईशान और राहुल ने अगर राष्ट्रीय टीम को भी हाल में तवज्जोह नहीं दी है तो इसके पीछे कारण सिर्फ और सिर्फ आईपीएल ही नजर आता है।