पाकिस्तान की पेस बैट्री को भारतीय उपमहाद्वीप में सबसे खतरनाक कहा जा
सकता है। यहां तक कि ऑस्ट्रेलिया और साउथ अफ्रीका से भी अधिक। वहीं भारत
की पेस बैटरी पाकिस्तान से ज़्यादा अनुभवी है लेकिन आठवें नम्बर पर
ऑलराउंडर खिलाने की वजह से एक तेज़ गेंदबाज़ को कम खिलाना टीम इंडिया की
मजबूरी बन गई है।
तकनीकी तौर पर देखा जाए तो शाहीन शाह आफरीदी बॉलिंग करते हुए लैंड करने
के बाद बॉडी वेट को बखूबी दूसरे पैर पर ट्रांसफर कर देते हैं। उनकी हाथों
की मूवमेंट तेज़ रहती है और वह फुलर लेंग्थ पर ज़्यादातर विकेट चटकाते
हैं जिससे बल्लेबाज़ को उनकी अंदर की ओर स्विंग होती गेंदों पर संभलने का
बहुत कम समय मिल पाता है। ऐसी ही गेंदों पर वह दो बार रोहित को और दो बार
विराट को आउट कर चुके हैं।
हारिस रउफ ने बीबीएल में मेलबर्न स्टार्स की ओर से खेलते हुए अपनी
गेंदबाज़ी में काफी सुधार किया है। उनके पास गज़ब की स्पीड बोल्ट पोज़ीशन
है यानी गेंद को रफ्तार देने के लिए उनके शरीर के सभी हिस्से तेज़ी से
काम करते हैं। उनकी लैंडिंग फुट पर उनका सारा बॉडीवेट आ जाता है। साथ ही
वह रफ्तार के लिए अपनी कोहनी, घुटने और कूल्हों का भी बखूबी इस्तेमाल
करते हैं। हालांकि उनके हाथों का मूवमेंट उतना तेज़ नहीं रहता। इस मामले
में उनका एक्शन काफी हद तक वकार यूनिस से मिलता-जुलता है।
नसीम शाह को कामयाबी के लिए सपोर्टिंग विकेट पर निर्भर नहीं रहना पड़ता।
उनका बॉलिंग आर्म और नॉन बॉलिंग आर्म एक सीक्वेंस में काम करता है जिससे
उनकी लाइन एंड लेंग्थ सटीक रहती है। वह रन-अप से रफ्तार निकालते हैं। कई
बार उनका बॉलिंग आर्म शरीर से दूर हो जाता है जिस पर बल्लेबाज़ को उनके
खिलाफ बड़े स्ट्रोक खेलने में मदद मिलती है। ज़ाहिर है कि भारतीय
बल्लेबाज़ ऐसे मौकों को हाथ से नहीं जाने देंगे।
वहीं भारतीय तेज़ गेंदबाज़ अनुभव के दम पर बहुत से प्रयोग करते दिखते
हैं। शमी के नॉन बॉलिंग आर्म और रिस्ट पोज़ीशन में ज़बर्दस्त तालमेल है
जिससे उनके पास ऐसी सीम मूवमेंट है, जो दुनिया में किसी के पास नहीं है।
मोहम्मद सीराज ओपन चेस्ट से गेंद को अंदर लाते हैं। उनके पास भी शमी की
तरह दोनों ओर गेंद को मूव कराने की कला है। वहीं बुमराह भी ओपन चेस्ट
एक्शन और छोटे रन अप से हाई स्पीड निकालते हैं। उनकी उम्मीद के विपरीत
उछाल को को हैंडल करना काफी मुश्किल होता है। दिक्कत यही है कि गेंद को
रिलीज़ करते समय उनका घुटना, कोहनी और कंधे एक ही दिशा में रहते हैं,
जिससे हमेशा उन पर इंजरी का खतरा बना रहता है।
इमाम, फख्र और बाबर के रूप में पाकिस्तान के टॉप ऑर्डर को खासकर बुमराह
की विविधता, शमी की सीम मूवमेंट और सीराज की दोनों ओर मूवमेंट का खास तौर
पर ख्याल रखना होगा। यही स्थिति भारत के टॉप आर्डर की है। जहां खासकर
रोहित शर्मा को आफरीदी की अंदर आती गेंदों पर बेहद सावधानी बरतनी होगी तो
वहीं गिल और विराट को पाकिस्तान की पेस बैटरी के सामने अपनी फुट मूवमेंट
में तेज़ी लानी होगी। विराट को आउट करने के तरीकों पर ये गेंदबाज़ नेट्स
में कई तरह से प्रयोग करते रहते हैं। ऐसी स्थिति में दो ही रास्ते हैं।
या तो सहवाग की शैली में शुरू से ही इन पर हमला बोला जाए और दूसरा, पहले
दस से 15 ओवर तक टेस्ट मैच स्टाइल में बल्लेबाज़ी की जाए और उसके बाद रन
गति को तेज़ी से बढ़ाकर बीच के ओवरों का फायदा उठाया जाए। इसमें दूसरा
रास्ता ज़्यादा सेफ है क्योंकि अगर विकेट हाथ में होंगे तो पारी को दूर
तक ले जाया जा सकता है जिससे टीम इंडिया अपने स्कोर को 300 के आस-पास तक
पहुंचा सकती है। पाकिस्तान इतने बड़े स्कोर को तभी चेज़ कर पाएगा, जब
उसके शीर्ष क्रम के बल्लेबाज़ उसे बड़ा स्कोर खड़ा करके देंगे। दो या तीन
विकेट जल्दी गिरने पर उसका मध्य क्रम डैमेज कंट्रोल करता ही रह जाता है।
ज़ाहिर है कि दोनों ओर की तेज़ गेंदबाज़ी और दोनों ओर का टॉप ऑर्डर ही इस
मैच का सबसे बड़ा आकर्षण रहने वाला है।