नमन गर्ग
भारतीय तेज़ गेंदबाज़ टी नटराजन ने चार साल से रेड बॉल क्रिकेट नहीं खेला है। वह टीम इंडिया में अपने करियर की शुरुआत तो कर चुके हैं लेकिन अपनी जगह पक्की नहीं कर सके। उन्होंने साल 2020 में बॉर्डर-गावसकर ट्रॉफी में पहला टेस्ट खेला था और वह अब इसी फॉर्मेट से दूर हो गए हैं।
हालांकि नटराजन को टेस्ट फॉर्मेट पसंद है लेकिन यह उनकी प्राथमिकता नहीं है। उन्होंने बताया कि आखिर उनके लिए वनडे और टी20 अहम क्यों हैं। नटराजन ने कहा कि उन्होंने चार साल पहले रेड बॉल क्रिकेट खेला था। ऐसा नहीं है कि उन्हें रेड बॉल क्रिकेट पसंद नहीं है लेकिन सच यह है कि रेड बॉल क्रिकेट से वर्कलोड बढ़ता है। फिलहाल वह इस फॉर्मेट से से परहेज कर रहे हैं। वर्कलोड के बढ़ने से ही घुटने में परेशानी होने लगती है। इसी कारण उन्होंने रेड बॉल खेलना बंद कर दिया’। तेज गेंदबाज़ ने बात जारी रखते हुए कहा, ‘उन्हें सीमित ओवर से ज्यादा टेस्ट क्रिकेट पसंद है। वह जब भी रेड बॉल क्रिकेट खेलते हैं, उन्हें इसमें बहुत मजा आता है। अगर हालात ठीक रहती हैं तब वह कुछ साल बाद इस फॉर्मेट को ज़रूर खेलेंगे। उन्होंने कहा कि अगर वह अगले दो साल ट्रेनिंग करेंगे।
फिलहाल वह केवल सीमित ओवर क्रिकेट पर ध्यान दे रहे हैं। नटराजन दलीप ट्रॉफी का हिस्सा नहीं हैं, न ही वह इरानी ट्रॉफी में नज़र आएंगे। नटराजन अब नवंबर में सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी (टी20 फॉर्मेट) और दिसंबर में विजय हजारे (लिस्ट ए) में खेलते नजर आएंगे। वह लगातार आईपीएल भी खेल रहे हैं। वह पिछले तीन सीजन से सनराइजर्स हैदराबाद का हिस्सा हैं। बीते सीजन में उनकी टीम फाइनल में पहुंची थी जिसमें नटराजन का अहम रोल था। वह 2020-21 के ऑस्ट्रेलियाई दौरे की टेस्ट टीम में नहीं चुने जा सके थे लेकिन वह टीम के साथ बतौर रिजर्व खिलाड़ी ऑस्ट्रेलिया गए। उन्होंने उस दौरे पर वनडे और टी-20 के साथ-साथ टेस्ट में शुरुआत की। नटराजन को पहला टेस्ट खेलने का मौका प्रमुख भारतीय तेज गेंदबाजों के चोटिल होने की वजह से मिला था। उन्होंने तीन टी20 मैचों में छह विकेट हासिल किए। नटराजन भारत की प्लेइंग इलेवन का भी हिस्सा थे, जब भारत ने ऑस्ट्रेलिया को 32 वर्षों के बाद गाबा टेस्ट हराया था तो भारत ऑस्ट्रेलिया में लगातार दूसरी टेस्ट सीरीज़ जीतने में सफल रहा।