पिछले वर्षों में पाकिस्तान की क्रिकेट टीम भारत में वर्ल्ड कप के दौरान
कोलकाता, मोहाली, बैंगलुरु में खेल चुकी है। यहां तक कि 2012-13 की
सीरीज़ के लिए बैंगलुरु, अहमदाबाद, चेन्नै, कोलकाता और दिल्ली में टी-20
और वनडे के मैच खेल चुकी है। दोनों मुल्कों के हालात तब भी नाजुक थे और
आज भी। मगर खेल के मैदान पर अक्सर दोनों मुल्कों के सियासतदारों ने
क्रिकेट डिप्लोमेसी का सहारा लिया है। मगर इस बार भारत में होने वाले
वर्ल्ड कप के लिए पाकिस्तान ने एक ऐसा गेमप्लान तैयार किया है जिससे वह
दुनिया को दिखा सके कि भारत में उसके लिए कितना डर का माहौल है।
पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड के प्रमुख ज़का अशरफ ने सरकार से इस वर्ल्ड कप
में भागीदारी को लेकर अनुमति मांगी थी। इस पर प्रधानमंत्री शाहबाज़ शरीफ
ने अपने मंत्रिमंडल की एक बड़ी फौज और राजनयिकों की एक बड़ी कमिटी बना दी
जो इस बात का आकलन करेगी कि पाकिस्तान टीम को भारत जाना चाहिए या नहीं।
विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो ज़रदारी इस कमिटी के अध्यक्ष होंगे। खेल
मंत्री अहसान माज़री, कानून मंत्री आज़म नज़ीर, सूचना एवं प्रसारण मंत्री
मरियम औरंगज़ेब, संचार मामलों के फेडरल मंत्री असद महमूद, आईटी
टेली-कम्यूनिकेशन मंत्री अमीन उल हक, कश्मीर मामलों के सलाहकार कमर ज़मां
और पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी के हाई प्रोफाइल अधिकारी तारिक फातमी को
इस कमिटी में शामिल किया गया है। फातमी प्रधानमंत्री के विदेश मामलों के
सलाहकार हैं। सवाल उठता है कि क्या पाकिस्तान दुनिया को यह समझाने का
प्रयास कर रहा है कि भारत में हालात उसके लिए अनुकूल नहीं हैं। यानी
उल्टा चोर कोतवाल को डांटे।
दरअसल पाकिस्तान जी 20 देशों में भारत के बढ़ते रुतबे से परेशान है। वह
व्हाइट हाउस में राष्ट्रपति बाइडन की ओर से मोदी के भव्य स्वागत, उनके
अमेरिकी संसद को संबोधित किए जाने और दोनों के बीच हुई उस शिखर बैठक से परेशान है जिसमें दोनों देशों के
संयुक्त बयान में पाकिस्तान से अपने देश में आतंकवादियों के खिलाफ
कार्रवाई करने की मांग की गई थी।
इससे पहले कश्मीर में अनुच्छेद 370 के हटाये जाने और केंद्र सरकार के
श्रीनगर को ‘स्मार्ट सिटी’ बनाने के ऐलान से पाकिस्तान अकेला पड़ता दिखाई
दिया। वह इस बात से भी परेशान है कि इस्लाम के नाम पर हमेशा उसका समर्थन
करने वाले तुर्की के राष्ट्रपति एदोर्गन ने आखिर मोदी को दुनिया का सबसे
महान नेता क्यों बताया जबकि शहबाज़ शरीफ को उन्होंने अपने यहां आने भी
मना कर दिया था। ज़ाहिर है कि अब उसकी बौखलाहट निकल रही है और वह क्रिकेट
के जरिए भारत के कुप्रचार करने काे लेकर कोई कसर नहीं छोड़ रहा।
सूत्रों के हवाले से यह भी खबर है कि एक उच्च स्तरीय सुरक्षा
प्रतिनिधिमंडल भी पाकिस्तान सरकार भारत भेजना चाहती है, जो पाकिस्तान के
मैचों के आयोजन स्थलों और वहां के शहरों के बारे में रिपोर्ट सरकार को
देगा। पाकिस्तान टीम का ज़्यादा समय भारत में हैदराबाद में बीतेगा, जहां
उसे दो वॉर्म अप मैचों के अलावा नीदरलैंड और श्रीलंका से खेलना है। इसके
अलावा पाकिस्तान को अहमदाबाद में भारत से, बैंगलुरु में ऑस्ट्रेलिया और
न्यूज़ीलैंड से, कोलकाता में बांग्लादेश और इंग्लैंड से, चेन्नै में
अफगानिस्तान और साउथ अफ्रीका से अपने मुक़ाबले खेलने हैं। पाकिस्तान टीम
के सेमीफाइनल में पहुंचने की स्थिति में उसे कोलकाता में और फाइनल में
पहुंचने की स्थिति में अहमदाबाद में खेलना होगा।
फिलहाल पीसीबी के प्रमुख ज़का अशरफ और सीओओ सलमान तसीर आईसीसी की मीटिंग
में भाग लेने डरबन जा रहे हैं, जहां वह यह संदेश देना चाहते हैं कि भारत
न तो एशिया कप में भाग लेने पाकिस्तान आता है और न ही उसके 2025 में होने
वाली चैम्पियंस ट्रॉफी में ही पाकिस्तान आने की कोई संभावना है। आईसीसी
पाकिस्तान की हर कूटनीतिक चाल से वाकिफ है लेकिन उसकी नज़र इस समय भारत
और पाकिस्तान के बीच होने वाले वर्ल्ड कप मैच पर टिकी है, जहां कम से कम
500 करोड़ रुपये का उसे राजस्व प्राप्त होने की उम्मीद है। इसी का
पाकिस्तान फायदा उठाना चाहता है।