इन दिनों श्रीलंका और पाकिस्तान के बीच पहला क्रिकेट टेस्ट गॉल में खेला
जा रहा है। यहां सबसे बड़ा सवाल यह है कि श्रीलंका आखिर हर टेस्ट सीरीज़
में गॉल को ही क्यों चुनता है। दरअसल, यह उसका लकी ग्राउंड है। यहां की
स्थितियां उसे काफी रास आती हैं। इसी मैदान पर प्रबत जयसूर्या ने अपने दम
पर ऑस्ट्रेलिया को शिकस्त देने में सबसे बड़ी भूमिका निभाई थी और इसी
मैदान पर प्रबत और रमेश मेंडिस की जोड़ी ने पाकिस्तान के खिलाफ निर्णायक
गेंदबाज़ी करके सबका दिल जीत लिया था।
पहले टेस्ट में भी एक समय श्रीलंका ने उसकी आधी टीम सौ रन में आउट कर दी
थी मगर इसके बाद साउद शकील और आगा सलमान ने सेंचुरी पार्टनरशिप करके अपनी
टीम को खतरे से काफी हद तक उबार दिया। हालांकि खतरा अभी पूरी तरह से खत्म
नहीं हुआ है क्योंकि पाकिस्तान अब भी श्रीलंका के स्कोर से 91 रन पीछे है
और उसके पांच खिलाड़ी आउट होने बाकी हैं।
सच तो यह है कि पाकिस्तान के शीर्ष क्रम के बल्लेबाज़ विकेट के धीमे होने
का सही तरीके से अंदाज़ ही नहीं लगा पा रहे थे। इमाम उल हक कसुन रजीता की
गेंद को कवर पर खेलना चाहते थे लेकिन पॉइंट की दिशा में लपक ली गई। इसी
तरह बाबर आज़म प्रबत जयसूर्या की एक लेंग्थ गेंद को ऑन साइड पर खेलना
चाहते थे लेकिन बाहरी किनारे ने उनका विकेट ले लिया। अब्दुल्ला शफीक
प्रबत की फ्लाइटेड गेंद पर और सरफराज स्वीप शॉट चूकने पर आउट हुए। शान
मसूद ऑफ स्पिनर रमेश मेंडिस की मिडिल और ऑफ स्टम्प की गेंद पर बैकफुट पर
एलबीडब्ल्यू आउट हुए। यहां पाकिस्तान इंग्लैंड की बैज़बॉल की शैली में
अटैकिंग बल्लेबाज़ी कर रहा था। आलम यह था कि उसने 20 ओवर में ही सौ का
आंकड़ा छू लिया था। यहां तक कि साउद शकील और आगा सलमान ने चाय के बाद
4.92 रन प्रति ओवर की गति से तेज़ गति से रन बनाए। इसे कहते हैं जारहानाह
क्रिकेट। दूसरे शब्दों में बैज़बॉल क्रिकेट।
इस पार्टनरशिप की सबसे अच्छी बात यह थी कि दोनों ने लगातार स्ट्राइक
रोटेट की। साउद शकील की ज़ोर जहां स्पिनरों के सामने अच्छे तरीके से
स्वीप शॉट पर रहा, वहीं आगा सलमान ने गेंद को बल्ले के बीचों-बीच लेकर
कवर और मिडविकेट की दिशा में बड़े शॉट खेले। दोनों गेम प्लान के हिसाब से
खेले। स्पिनरों को अच्छे तरीके से खेलने का ही यह नतीजा रहा कि दोनों ने
न सिर्फ पारी को जमाया बल्कि अपनी टीम को काफी हद तक संकट से उबार दिया।