बेशक टीम इंडिया ने एशिया कप में दो मैच दस विकेट से जीते हों और एक मैच
में 228 रन की विशाल जीत दर्ज की हो। उसी मैच में 356 का स्कोर और
विपक्षी को 128 पर धराशायी करना और फाइनल में 50 रन पर विपक्षी टीम को
समेटना एशिया कप के यादगार लम्हे रहे लेकिन अब बहुत हो चुका है जीत का
जश्न। अब बारी है अपने ग्रे एरिया यानी अपने कमज़ोर पक्षों पर काम करने
की।
डॉट बॉल बनी परेशानी
राहुल द्रविड़ शुरू से ही कम से कम डॉट बॉल खेलने पर ज़ोर देते रहे हैं
क्योंकि धीमी पिचों पर स्ट्राइक रोटेशन से डॉट बॉल की समस्या से उबरा जा
सकता है। यहां तक कि टीम इंडिया के एनसीए सेशन में सबसे अधिक ज़ोर इसी
बात पर दिया गया था लेकिन टीम इंडिया एशिया कप में इस कमी को दूर नहीं कर
पाई। सच यह है कि बांग्लादेश के खिलाफ मैच में टीम इंडिया ने करीब आधी
डॉट बॉल खेलीं और श्रीलंका के खिलाफ सुपर 4 मैच में
295 में से 157 डॉट गेंदें खेलीं। इसी मैच में आखिरी 96 गेंदों में से 61
डॉट गेंदें रहीं। अगर इस मैच में कुलदीप यादव न होते तो भारत को निश्चित
हार झेलनी पड़ती।
बेंच स्ट्रेंथ ने किया निराश
टीम इंडिया की दूसरी परेशानी बेंच स्ट्रेंथ की कमी है। यही बेंच स्ट्रेंथ
ऑस्ट्रेलिया दौरे में टीम के लिए तारणहार साबित हुई थी और टीम इंडिया ने
तब गाबा का गुरुर तोड़ा था। मगर बांग्लादेश के खिलाफ आखिरी तीन विकेटों
ने 105 रन जोड़कर करीब छह रन प्रति ओवर की गति से रन बनाए। यानी प्रसिद्ध
कृष्णा, शार्दुल ठाकुर और अक्षर पटेल बेअसर साबित हुए। यहां तक कि
सूर्यकुमार यादव भी वनडे क्रिकेट को टी-20 के माइंडसेट से खेलते हैं और
तिलक वर्मा भी मिले एक मौके को नहीं भुना पाए।
लेफ्ट आर्म स्पिनर बने समस्या
लेफ्ट आर्म स्पिनर पिछले कुछ समय से टीम इंडिया के लिए परेशानी का सबब
साबित हुआ है। बांग्लादेश के खिलाफ वेलालगे ने पांच विकेट चटकाए और
बांग्लादेश के बाएं हाथ के स्पिनर शाकिब ने सूर्यकुमार को आउट करके टीम
पर दबाव बनाने का काम किया। विराट कोहली और केएल राहुल तो बेलालगे की
शॉर्ट ऑफ गुड लेंग्थ गेंदों पर आउट हुए। गिल फ्लाइट पर, रोहित उनकी स्किड
होती गेंद पर और हार्दिक फॉरवर्ड डिफेंसिव शॉट खेलते हुए आउट हुए। विराट
कोहली का तो बाएं हाथ के स्पिनर के सामने औसत 13 रन प्रति पारी का रहा
है।
गुच्छों में विकेट खोना
टीम इंडिया की सबसे बड़ी परेशानी एक साथ कई विकेट खोना है। पाकिस्तान के
खिलाफ पल्लिकल में लीग मैच में टीम इंडिया ने पहले चार विकेट 66 रन में
खोए और आखिरी चार विकेट 62 रन में खोए। इसी तरह श्रीलंका के खिलाफ सुपर 4
मैच में टीम इंडिया ने 41 रन में पांच विकेट खो दिए थे और असलंका जैसा
पार्टटाइमर भी टीम पर सवा सेर साबित हुआ था। बांग्लादेश के खिलाफ टीम ने
94 रन में चार विकेट खोए। ज़ाहिर सी बात है कि टीम इंडिया पर लगातार
विकेट गिरने से दबाव आ जाता है, जिससे गेंदबाज़ो का काम और ज़्यादा
चुनौतीपूर्ण हो जाता है।
फील्डिंग
हालांकि टीम इंडिया की फील्डिंग ओवरऑल ठीक ठाक रही लेकिन वर्ल्ड चैम्पियन
बनने के लिए जिस तरह की फील्डिंग की ज़रूरत होती है, उसकी कमी देखी गई।
राहत की बात यह है कि जसप्रीत बुमराह और केएल राहुल फिट हो गए हैं लेकिन
अक्षर पटेल और श्रेयस अय्यर पर संशय बना हुआ है। सम्भव है कि अक्षर की
जगह टीम इंडिया में अश्विन या वाशिंग्टन सुंदर में से किसी एक को अवसर
मिले। कई टीमों में अनेक बाएं हाथ के बल्लेबाज़ हैं। ऐसे में ऑफ स्पिनर
का महत्व बढ़ जाता है।