भारत और श्रीलंका की टीमें मुम्बई के वानखेड़े स्टेडियम में 2011 वर्ल्ड कप का फाइनल खेली थीं जहां भारत ने श्रीलंका को हराकर वर्ल्ड कप पर दूसरी बार कब्जा जमाया था। तब से लेकर अब तक दोनों टीमों में काफी बदलाव आया है। भारत अब भी विश्व की शीर्ष स्तरीय टीमों में काबिज है वही श्रीलंका टीम में अब पहले जैसी बात नहीं रही।
गुरूवार को श्रीलंका के पास उस 12 साल पहले मिली हार का बदला लेने का मौका होगा। श्रीलंका के इस मिशन के लिए उसकी मदद उसके स्पिन गेंदबाज कर सकते हैं। वहीं भारत से कुलदीप और जडेजा की जोड़ी एक बार फिर से श्रीलंका के सामने मुश्किल चुनौती पेश करेगी। आइए नजर डालते हैं दोनों टीमों की स्पिन गेंदबाजी पर –
श्रीलंका
श्रीलंका का यह वर्ल्ड कप फिलहाल बहुत औसत रहा है। टीम के स्पिन गेंदबाजी में वानिंदु हसरंगा के न होने से यह पक्ष बहुत कमज़ोर लग रहा है। मिस्ट्री स्पिनर महीश तीक्ष्णा पर बड़ी जिम्मेदारी होगी। तीक्ष्णा ने इस वर्ल्ड कप में पांच मुकाबले खेले हैं जिसमें उन्हें मात्र तीन विकेट हासिल हुए हैं। इस स्पिनर के लिए यह आंकड़े बहुत साधारण हैं। महीश तीक्ष्णा के अलावा कप्तान कुसल मेंडिस दुनिथ वेलालगे को लेकर भी उतर सकते हैं, जिन्होंने एशिया कप के दौरान भारत के खिलाफ बेहतरीन प्रदर्शन कर एक मैच में पांच विकेट हासिल किए थे। वेलालगे ने इस वर्ल्ड कप में तीन मुकाबले खेलते हुए दो विकेट हासिल किए हैं। प्रदर्शन को देखते हुए दोनों खिलाड़ी फार्म में नहीं हैं और भारत के खिलाफ कमबैक करना भी आसान नहीं होने वाला है।
कुलदीप और जडेजा की जोड़ी है तैयार
भारतीय टीम इस वर्ल्ड कप में अभी तक अजेय है। बैटिंग और बॉलिंग दोनो क्षेत्रों में भारत दूसरी टीमों से इक्कीस साबित हुआ है। तेज गेंदबाजों के अलावा स्पिनरों ने भी विपक्षी टीमों पर जमकर कहर बरपाया है। पिच से मदद न मिलने पर भी भारतीय स्पिन जोड़ी कुलदीप और जडेजा ने बेहद कंट्रोल और कसी हुई गेंदबाजी की है। इन स्पिन जोड़ी का सामना श्रीलंका के बल्लेबाजों को बेहद संभल कर करना होगा। कुलदीप यादव ने छह मैचों में दस विकेट हासिल किए हैं और उनके जोड़ीदार जडेजा ने इतने ही मैचों में आठ विकेट चटकाए हैं।