– मनोज जोशी 4th June :
इंग्लैंड ने लॉर्ड्स टेस्ट के दूसरे दिन एक ऐसा प्रयोग किया कि पूरी दुनिया देखती रह गई। कप्तान बेन स्ट्रोक्स और कोच ब्रेंडम मैकुलम की जुगलबंदी से ऐसी उम्मीद थी क्योंकि खासकर मैकुलम को पहले भी कई तरह के प्रयोग करते देखा गया है।
जिस समय जेम्स एंडरसन न्यूज़ीलैंड के धाकड़ बल्लेबाज़ डेवन कॉन्वे को गेंदबाज़ी कर रहे थे, उस समय छह स्लिप लगाई गई थीं। अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में आम तौर पर तीन या ज़्यादा से ज़्यादा चार स्लिप ही लगाई जाती हैं लेकिन लॉर्ड्स के ऐतिहासिक मैदान में यह प्रयोग वास्तव में अनूठा था। वैसे 80 के दशक में ऑस्ट्रेलिया और वेस्टइंडीज़ की टीमें ऐसे प्रयोग कर चुकी हैं।
छह स्लिप के कर्णधार ब्रेंडन मैकुलम थे जो बतौर कप्तान न्यूज़ीलैंड की ओरसे वनडे क्रिकेट में छह स्लिप लगाने के प्रयोग कई बार कर चुके थे लेकिनयहां एक हैरतअंगेज कदम स्टीव वॉ की ओर से देखने को मिला है। उन्होंने 1999 के हरारे टेस्ट में ज़िम्बाब्वे के खिलाफ नौ फील्डरों को स्लिप में तैनात कर दिया था। यानी इससे ज़्यादा फील्डर स्लिप पर तैनात करना सम्भव नहीं है क्योंकि ऐसी स्थिति में दो ही खिलाड़ी बचते हैं जिनमें एक गेंदबाज़ और दूसरा विकेटकीपर।
वैसे अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में स्लिप फील्डरों की बहुत बड़ी भूमिका होती है। यह वह जगह है जहां रिफ्लेक्सेस काफी तेज़ होने चाहिए और इस पोज़ीशन पर भारत की ओर से सुनील गावसकर, मोहम्मद अज़हरूद्दीन और आजिंक्य रहाणे बेहतरीन फील्डर साबित हुए हैं। वैसे वीवीएस लक्ष्मण, राहुल द्रविड़, विराट कोहली ने भी इस जगह पर अपनी पहचान बनाई है।
पूरी दुनिया इस पोज़ीशन का महत्व समझती है। सर गारफील्ड सोबर्स, बॉबी सिम्पसन, जैक कालिस, मार्क टेलर, रिकी पॉन्टिंग, स्टीफन फ्लेमिंग, मैथ्यू हेडन, महेला जयवर्धने, फाफ डू प्लेसी, शेन वॉर्न, कार्ल हूपर, एंड्यू फ्लिंटॉफ ने स्लिप पर शानदार फील्डिंग से अपनी विशिष्ट जगह बनाई। मार्क वॉ को तो इस जगह पर अगर सर्वश्रेष्ठ फील्डर कहा जाए तो ग़लत नहीं होगा। बेशक जोंटी रोड्स फील्डिंग के क्षेत्र में लीजेंड रहे हों लेकिन स्लिप फील्डिंग से उन्होंने परहेज ही रखा है। ज़ाहिर है कि तेज़ गेंदबाज़ की आउटस्विंगर, इन कटर और स्पिनरों में खासकर लेग स्पिनरों की गेंदों पर बल्ले का बाहरी किनारा लगना और स्लिप में कैच लपकना आम बात है। ज़ाहिर है कि ब्रेंडन मैकुलम की ओर से ऐसे प्रयोग भविष्य में भी देखे जा सकते हैं।