रवींद्र जडेजा की जगह कौन – कुलदीप यादव, वाशिंग्टन सुंदर और सौरभ कुमार ?

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केएल राहुल और रवींद्र जडेजा के इंजरी की वजह से बाहर होने से टीम इंडिया की मुश्किलें बढ़ गई हैं। केएल राहुल के लिए दो विकल्प हैं – सरफराज़ खान और रजत पाटीदार जबकि जडेजा के लिए तीन विकल्प हैं – कुलदीप यादव, वाशिंग्टन सुंदर और सौरभ कुमार।

इनमें पहले विकल्प को लेकर कोई ज़्यादा माथापच्ची नहीं है जबकि दूसरे विकल्प को लेकर टीम मैनेजमेंट ज़्यादा दुविधा में है। जडेजा के बॉलिंग के साथ-साथ बैटिंग विकल्प को तलाशना टीम प्रबंधन के लिए काफी चुनौतीपूर्ण है। वाशिग्टन सुंदर और सौरभ कुमार उनकी दोनों क्षेत्रों में कुछ हद तक भरपाई करते दिखाई देते हैं जबकि कुलदीप केवल गेंदबाज़ी में ही उनकी भरपाई करते हैं जबकि उनके पास अनुभव और चतुराईपूर्ण गेंदबाज़ीं दोनों हैं। इसी की बदौलत उन्हें अब तक तीनों फॉर्मेट में कामयाबी मिली है।

कुलदीप क्यों ज़रूरी

कुलदीप यादव के पास अनुभव होने के अलावा क्वालिटी बॉलिंग भी है। इससे भी बड़ी बात यह है कि वह खासकर स्वीप शॉट्स के सामने एक सधी हुई रणनीति अपनाते हैं जो काफी हद तक कारगर होती है। अपनी गेंदबाज़ी के हिसाब से फील्ड सेट करना और स्वीप शॉट खेलने से रोकना ही उनकी सबसे बड़ी विशेषता है। इसी कला की बदौलत उन्होंने तमाम टीमों पर लगाम लगाई है और बल्लेबाज़ हताशा में अपने विकेट उन्हें देने के लिए मजबूर हो जाता है। दो साल पहले चटगांव में बांग्लादेश के खिलाफ उन्होंने अपना आखिरी टेस्ट खेला, जहां उन्होंने गेंद के साथ बल्ले से भी बढ़िया प्रदर्शन किया और वह मैन ऑफ द मैच चुने गए। आठ टेस्टों में वह 34 विकेट हासिल कर चुके हैं।

सुंदर का कितना दावा ?

अगर कुलदीप जडेजा की गेंदबाज़ी के आइडियल विकल्प हैं तो वहीं सुंदर उनकी बल्लेबाज़ी के आइडियल विकल्प हैं। वह चार टेस्ट में 66.25 के औसत से 265 रन बना चुके हैं। इनमें उनकी तीन हाफ सेंचुरी शामिल हैं। गाबा ब्रिसबेन में उनकी पहली पारी में 62 रन की पारी ने भारत की जीत में अहम भूमिका निभाई थी। वह ज़रूरत के हिसाब से अपनी बल्लेबाज़ी की शैली में बदलाव कर लेते हैं। यानी अगर टेम्परामेंट से खेलने की ज़रूरत है तो वह इस काम को बखूबी अंजाम देते हैं और इसी तरह ज़रूरत के हिसाब से आक्रामक भी खेलते हैं। मगर गेंदबाज़ी में उनका असर व्हाइट बॉल क्रिकेट जैसा अभी तक देखने को नहीं मिला है। हालांकि चार टेस्ट में उनके नाम छह विकेट हैं लेकिन इसके लिए उनका बॉलिंग औसत 49.83 का रहा है, जो टेस्ट क्रिकेट के लिए बिल्कुल भी उत्साहवर्धक नहीं कहा जा सकता।

सौरभ कुमार नई सनसनी

उत्तर प्रदेश के सौरभ कुमार बड़े फॉर्मेट में एक नई सनसनी कहे जा सकते हैं। बाएं हाथ का यह स्पिन बॉलिंग ऑलराउंडर बिशन सिंह बेदी को अपना आदर्श मानता है और जडेजा के वह फैन हैं। हालांकि श्रीलंका के खिलाफ घरेलू सीरीज़ और बांग्लादेश के दौरे पर उन्हें टीम इंडिया में चुना गया लेकिन उन्हें प्लेइंग इलेवन नहीं मिल पाई। पिछले हफ्ते इंडिया ए की ओर से खेलते हुए इंग्लैंड लॉयन्स के खिलाफ उन्होंने पांच विकेट चटकाए और एक अन्य मैच मं लॉयन्स के ही खिलाफ उन्होंने कुल छह विकेट चटकाए और 77 रन की पारी भी खेली। वह अब तक फर्स्ट क्लास क्रिकेट में 12 हाफ सेंचुरी और दो सेंचुरी लगा चुके हैं। बॉलिंग में वह 68 फर्स्ट क्लास मैचों में 290 विकेट अपने नाम कर चुके हैं। 64 रन में आठ विकेट हासिल करना उनका सर्वश्रेष्ठ बॉलिंग औसत है। उत्तर प्रदेश को कोच सुनील जोशी ने उनके हर कंडीशंस के अनुकूल गेंदबाज़ी करने के लिए उनकी सराहना की है।

 

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