शिखर धवन को टीम में न चुना जाना मेरी समझ से परे है

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– राजकुमार शर्मा 2nd June :

शिखर धवन को टीम इंडिया में मौका ना मिलने से मैं काफी हैरान हूं क्योंकि वह आज भी सबसे फिट खिलाड़ियों में से एक हैं। उन्होंने आईपीएल में कई शानदार पारियां खेली हैं जहां उन्होंने शानदार बल्लेबाज़ी के अलावा
बढ़िया फील्डिंग भी की है। मेरे हिसाब से उम्र सिर्फ एक नंबर है। अगर कोई खिलाड़ी अपनी टीम के लिए काफ़ी अच्छा प्रदर्शन कर रहा है और वह पूरी तरह से फिट है तो टीम के लिए काफी उपयोगी साबित हो सकता है।

मुझे हैरानगी इस बात की हुई कि शिखर का टीम में कोई ऐसा रिप्लेसमेंट भी नहीं है जो उनकी जैसी फॉर्म में हो। अगर वह 36 साल के हो गए हैं और उन्हें टीम इंडिया में जगह नहीं मिली है तो ये सेलेक्टर और कोच की काफी
गलत सोच है। पहले भी कई खिलाड़ी 39-40 की उम्र में खेल चुके हैं। अगर दिनेश कार्तिक को ढलती उम्र में टीम इंडिया का हिस्सा बनाया जा सकता है तो फिर शिखर को क्यों इससे अलग रखा जाए।

शिखर की फिटनेस और उनका स्ट्राइक रेट काफ़ी बेहतर है। अगर कोई खिलाड़ी कोच की योजना में फिट नहीं बैठता तो उन्हें पहले से कहना सही कदम होता। चयनकर्ता को यह भी बताना चाहिए कि आखिर कोई खिलाड़ी टीम में शामिल अगर नहीं किया गया तो उन्हें उसका कारण भी बताना चाहिए जिससे वह अपनी
कमज़ोरियों से निजात पा सके। इसी साल टी 20 वर्ल्ड कप भी है और भारत को शिखर धवन के अनुभव की काफ़ी ज़रूरत है और वह एक अच्छे टीम-मैन होने के साथ साथ बड़े मैच विनर भी हैं। अगर उन्हें नहीं चुना गया है तो यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है।

वहीं ऋद्धिमान साहा बेहतरीन विकेटकीपर हैं। टीम इंडिया के लिए, उनका विकेट के पीछे कलेक्शन और उनका ग्लव वर्क लाजवाब रहा है और टेस्ट मैच में उनके जैसे सेफ विकेटकीपर की भारत को जरूरत है। टेस्ट के लिए उनके नाम पर ज़रूर विचार किया जाना चाहिए।

आम तौर पर कहा जाता है कि टी-20 फॉर्मेट यंगस्टर्स का क्रिकेट है। यंगस्टर्स अच्छा प्रदर्शन करते हैं लेकिन टीम में अनुभव की ज्यादा जरूरत होती है। बटलर इसका उदाहरण हैं क्योंकि उन्होंने इस आईपीएल में सबसे ज़्यादा रन बनाए जबकि वह कोई यंगस्टर नहीं हैं। मौजूदा टीम में केएल राहुल, रुतुराज गायकवाड़ और ईशान किशन को टीम में शामिल किया गया है। मेरे ख्याल से मौजूदा विकल्पों को देखते हुए केएल राहुल के साथ रुतुराज
गायकवाड़ से पारी की शुरुआत करानी चाहिए।

(लेखक विराट कोहली के कोच होने के अलावा द्रोणाचार्य पुरस्कार विजेता हैं)

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