डिस्अ्प्वांइटमेंट’ इस शब्द का हिन्दी अर्थ निराशाजनक होता है और भारतीय कोच राहुल द्रविड़ ने विकेटकीपर बल्लेबाज श्रीकर भरत को लेकर इसी शब्द का प्रयोग किया। इंग्लैंड के खिलाफ चल रही सीरीज के दोनों मैचों में भरत बल्ले से कोई बड़ा योगदान नहीं दे पाए हैं। रिषभ पंत और इशान किशन की गैरमौजूदगी में इंग्लैंड के खिलाफ पहले दो टेस्ट में निश्चित रूप से केएस भरत के लिए टीम में जगह पक्की करने का मौका था। भरत के साथ युवा ध्रुव जुरेल को भी इंग्लैंड के खिलाफ सीरीज के लिए टीम में शामिल किया गया था। भरत जुरेल से ज्यादा अनुभवी हैं। भले, शायद जुरेल बैटिंग में उनसे बेहतर हो लेकिन टीम प्रबंधन ने अनुभव को प्रधानता दी।
बीते दोनों मैचों में टीम प्रबंधन ने जो विश्वास भरत पर दिखाया,भरत उस पर खड़े नहीं उतरे। हैदराबाद में उन्होंने जरूर प्रभावित किया लेकिन टेस्ट में 30-40 से बात नहीं बनती, खिलाड़ी को बड़ी पारियां खेलनी चाहिए। हैदराबाद के बाद विशाखापत्तनम में तो एक चलते-फिरते विकेट की तरह पेश आए, जहां एक बेहतर बैटिंग विकेट पर पहली पारी में 17 और दूसरी पारी में छह रन बनाकर पवेलियन लौट गए।
दूसरे मैच के बाद कोच ने भरत की विकेटकीपिंग की तारीफ की लेकिन साथ ही साथ यह भी कहा, “उनके बैटिंग में बहुत सुधार की गुंजाइश है। भरत उम्मीद के मुताबिक बल्ले से योगदान देने में असफल हुए हैं।”
इस खिलाड़ी को बैटिंग पर काम करने की बहुत जरूरत है। अभी तक सात मैच खेलते हुए इस बल्लेबाज ने एक भी पचासा भी नहीं जड़ा है। इतने मैचों में भरत ने 20 की लचर औसत से 221 रन बनाए हैं जिसमें उनका सर्वाधिक स्कोर 44 रहा है। भारतीय बैटिंग पहले ही संघर्ष कर रही है। पहले दो टेस्ट में विराट और दूसरे टेस्ट में राहुल और जडेजा के भी बाहर होने से भारत की चिंता बढ़ गई थी।