
कई बार ज़रूरत से ज़्यादा होमवर्क नुकसानदायक साबित होता है। ऐसा ही कुछ इन दिनों श्रेयस अय्यर के साथ हो रहा है। मुम्बई में उन्होंने थ्रोडाउन एक्सपर्ट्स के साथ दो सत्र तक शॉर्ट बॉल का अभ्यास किया। यहां सवाल यह है कि इस समस्या से रूबरू होने वाले बल्लेबाज़ को अगर आप ऐसी ही गेंदों का लगातार अभ्यास कराते रहेंगे तो वह बल्लेबाज़ इन गेंदों पर कुछ ज़्यादा ही अलर्ट हो जाएगा। इसका नुकसान यह होगा कि गेंदबाज़ के शॉर्टपिच के एक्शन भर से वह गेंद को पुल करने का मन पहले ही बना लेगा। ऐसी स्थिति में गेंदबाज़ सम्भव है कि शॉर्टपिच के एक्शन के बावजूद उन्हें छकाने के लिए शॉर्टपिच गेंद न करें। इंग्लैंड के खिलाफ श्रेयस के साथ कुछ ऐसा ही हुआ था। तब क्रिस वोक्स ने उनके खिलाफ शॉर्ट ऑफ गुड लेंग्थ बॉल की थी जो सही मायने में शॉर्ट पिच गेंद नहीं थी। उस पर वह पुल करने का मन बना चुके थे जिस पर उनका शॉट मिसटाइम हुआ और वह मिडऑन पर लपक लिए गए।
दरअसल, श्रेयस फ्रंट फुट के अच्छे खिलाड़ी हैं। तेज़ गेंदबाज़ उन्हें बैकफुट पर खिलाना चाहते हैं। इसके लिए वह शॉर्ट पिच या उछाल लेती गेंदों का सहारा लेते हैं। श्रेयस बैकफुट पर जाने के बजाय फ्रंटफुट पर ही पुल शॉट खेलते हैं जिस पर वह गेंद को कई बार पूरी तरह से मिडिल नहीं कर पाते और गेंद बल्ले के ऊपरी हिस्से से लगकर मिडऑन या मिडविकेट के फील्डर के हाथों में जाती है और यही उनके लिए बड़ी परेशानी का कारण है। ट्रेंट बोल्ट की शॉर्ट गेंद को भी वह मिडिल नहीं कर पाए थे जिससे डीप स्कवेयर लेग पर उनका कैच गया। श्रेयस के साथ एक दूसरी परेशानी यह भी है कि जब वह तेज़ गेंदबाज़ों के सामने फ्रंट फुट पर पुल शॉट खेलने जाते हैं, तब बैट स्विंग यानी बल्ला पीछे से तेज़ी से गेंद पर नहीं आता, जिससे न तो ऐसे शॉट्स में ताक़त लग पाती है और न ही गेंद बल्ले के बीचों-बीच लगकर सीमापार हो पाती है।
यह परेशानी कई दिग्गजों को आई है। सौरभ गांगुली को भी एक समय कट और पुल शॉट खेलने में परेशानी हो रही थी तो उन्हें भी अपने खेल में अपनी तकनीकी खामी का आकलन करना पड़ा था। सचिन तेंडुलकर ने तो 1992 के पर्थ टेस्ट और 2003 के सिडनी टेस्ट में कवर ड्राइव से परहेज रखते हुए ही अपनी पारी को बड़ा आकार दिया था। अब श्रेयस को भी ऐसी ही सीख की दरकार है।
अब उनका सामना मुम्बई के वानखेड़े स्टेडियम में दुश्मंता चमीरा, कसुन रजीता और मदुशंका की त्रिमूर्ति से है, जिनके पार रफ्तार भी है और वे श्रेयस के खिलाफ शॉर्टपिच गेंदों की रणनीति अपना सकती है। ज़ाहिर है कि श्रेयस इस वर्ल्ड कप में पाकिस्तान के खिलाफ हाफ सेंचुरी को छोड़कर कोई भी बड़ी पारी नहीं खेल पाए हैं। उन्हें ऐसी गेंदों को फ्रंटफुट पर पुल शॉट्स खेलने से बचना होगा और बैकफुट पर पूरे फोर्स के साथ अगर वह गेंद को सीमा रेखा के पार पहुंचाएंगे तो ज़ाहिर है कि गेंदबाज़ उन्हें ऐसी गेंदें फेंकने से पहले दस बार सोचेंगे। ज़ाहिर है कि इस बार सबकी निगाहें श्रेयस अय्यर पर हैं।