आयुषी सिंह
संजू सैमसन की चैम्पियंस ट्रॉफी 2025 में जगह तय नहीं है। उनकी संभावनाओं पर सवाल खड़े हो रहे हैं क्योंकि वह बीसीसीआई ने उनके विजय हजारे टूर्नामेंट में उपलब्ध नहीं थे।
बीसीसीआई की हाल ही में आई नई गाइडलाइंस के अनुसार जो भी खिलाड़ी राष्ट्रीय टीम में चयन की इच्छा रखता है, उसे अपने राज्य का घरेलू क्रिकेट खेलना अनिवार्य होगा। यह नियम इसलिए लागू किया गया है, ताकि घरेलू क्रिकेट को और मजबूत किया जाए और खिलाड़ियो को एक और मौका मिले अपनी फिटनेस साबित करने का।
सूत्रों के अनुसार संजू सैमसन ने अपना ज्यादातर समय इस दौरान दुबई में बिताया है। यह
भी एक बड़ा मुद्दा है कि उन्होंने बीसीसीआई या केसीए को विजय हजारे ट्रॉफी में अपनी अनुपस्थिति का कोई खास वजह नहीं बताया। चयनकर्ताओं का मानना है कि खिलाड़ियों को अपने राज्य संघ के साथ सभी गलतफहमियां को सुलझाकर घरेलू क्रिकेट खेलना चाहिए।
बीसीसीआई के इस सख्त नियम के कारण संजू सैमसन का करियर प्रभावित हो सकता है।
अगर वह अपनी अनुपस्थिति का खास कारण नहीं बता पाए तो उनके लिए चैम्पियंस
ट्रॉफी में खेलना मुश्किल हो सकता है। संजू सैमसन इस समय भारतीय टीम में दो विकेटकीपर के लिए केएल राहुल, ऋषभ
पंत और ध्रुव जुरेल के साथ मुकाबला कर रहे हैं।
सैमसन के समर्थन में तर्क
सैमसन के समर्थकों का मानना है कि उन्होंने भारतीय टीम के लिए पिछले कुछ मौकों पर शानदार प्रदर्शन किया है। उन्हें बहुत कम मौके मिले लेकिन उन्होंने अपनी बल्लेबाजी की क्षमता और विकेटकीपिंग में अच्छा प्रदर्शन दिखाया है। इसके अलावा, वह हमेशा मुश्ताक अली ट्रॉफी में केरल के लिए खेले थे, जो यह दर्शाता है कि वह राज्य के लिए खेलना चाहते हैं।
संजू सैमसन का प्रदर्शन 2025 चैम्पियंस ट्रॉफी में अहम हो सकता था। एक दिवसीय क्रिकेट में उन्होंने 2021 में 46, 2022 में 71 और 2023 में 56.66 के औसत से रन बनाए, जिनमें 3 अर्धशतक और 1 शतक शामिल है। उनके न खेलने से भारतीय टीम को विकेटकीपिंग और बल्लेबाजी में स्थिरता की कमी महसूस हो सकती है। उनकी 135.2 के स्ट्राइक रेट से रन बनाने की क्षमता टीम के लिए दबाव के क्षणों में बेहद फायदेमंद होती।