नमन गर्ग
आखिरकार संजू सैमसन के बल्ले से उनकी दलीप ट्रॉफी करियर की पहली सेंचुरी निकल ही गई। इंडिया डी की ओर से खेलते हुए संजू ने इंडिया बी के खिलाफ 101 गेंद में 106 रन की पारी खेली। 104.95 के स्टाइक रेट से बल्लेबाजी करते हुए उन्होंने 12 चौके और तीन छक्के लगाए।
इससे पहले संजू सैमसन और खतरनाक साबित होते उन्हें नवदीप सैनी ने नीतीश रेड्डी के हाथों कैच करवा दिया। दलीप ट्रॉफी के तीसरे राउंड के मैच में अगर संजू सैमसन सेंचुरी नहीं लगा पाते तो इंडिया डी स्कोरबोर्ड पर 349 रन टांगने में कामयाब नहीं होती। संजू सैमसन भारत के लिए भी खेल चुके हैं, बस उनकी यह बदनसीबी रही है कि वह सही मौके पर प्रदर्शन नहीं कर पाते और जब वह प्रदर्शन करते हैं तब उनकी रिप्लेसमेंट तैयार होती है। खासकर वनडे क्रिकेट में तो उनका प्रदर्शन बहुत शानदार रहा है लेकिन उसमें भी वह जगह इसलिए नहीं बना पाते क्योंकि सेलेक्टर्स तर्क देते हैं कि एक-दो पारी को छोड़कर वह छोटी टीम के खिलाफ प्रदर्शन करते हैं और दूसरा प्रमुख कारण यह है कि वह लगातार रन बनाने में असफल होते हैं। वह अगर सबसे ज्यादा निराश होंगे तो T20 के प्रदर्शन पर होंगे क्योंकि T20 में उन्हें बहुत मौके मिले थे लेकिन फिर भी वह अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाए।
हाल ही में वह श्रीलंका के खिलाफ T20 सीरीज में भी एक रन नहीं बना पाए। उनकी सबसे बड़ी दिक्कत यह रही है कि ज़्यादातर मौकों पर वह इंटरनेशनल मैचों में लगातार रन नहीं बना पाए हैं, जिससे वह टीम में आते- जाते रहते हैं। कई बार संजू सैमसन को देखा गया है कि वह दो-तीन अच्छे शॉट खेलकर अपनी विकेट फेंक देते हैं। संजू सैमसन के अलावा इंडिया डी के लिए देवदत्त पडिक्कल (50), केएस भरत (52) और रिकी भुई (56) ने भी हाफ सेंचुरी की। कप्तान श्रेयस अय्यर अपना खाता भी नहीं खोल पाए। संजू की यह फर्स्ट क्लास में 11वीं सेंचुरी है। बांग्लादेश के खिलाफ टेस्ट सीरीज़ के लिए नजरअंदाज किए गए संजू सैमसन को खुद को साबित करना पड़ेगा क्योंकि अभी तक वह प्रतियोगिता में आगे बढ़कर नेतृत्व नहीं कर पाए हैं। उनकी टीम अभी तक खाता भी नहीं खोल पाई है और ऐसे में संजू सैमसन की जिम्मेदारी काफी बढ़ जाती है। इस वक्त टीम में ऋषभ पंत विकेटकीपर की भूमिका निभा रहे हैं, जो एक्सीडेंट के बाद संबे समय बाद मैदान पर वापसी कर रहे हैं।