पूर्व भारतीय कप्तान सौरभ गांगुली ने पिछले दिनों वर्ल्ड कप में अफगानिस्तान के खिलाफ ग्लेन मैक्सवेल की पारी को वनडे क्रिकेट की अब तक की सबसे महान पारी नहीं माना है। उनकी नज़र में यह एक बेहतरीन पारी थी लेकिन सचिन तेंडुलकर और विराट कोहली ने इस फॉर्मेट में जबरदस्त खेल दिखाया है। मैक्सवेल ने अफगानिस्तान के खिलाफ डबल सेंचुरी बनाई। उन्होंने 128 गेंद का सामना करके 21 चौकों और 10 छक्कों की मदद से 201 रन की नॉटआउट और मैच विनिंग पारी खेली। यह पारी ऐसे समय में आई जब ऑस्ट्रेलिया ने 91 रन में सात विकेट खो दिए थे। इसके बाद उन्होंने पैट कमिंस के साथ आठवें विकेट के लिए 202 रनों की पार्टनरशिप करके इतिहास रच दिया।
दिल्ली कैपिटल्स के ट्रेनिंग कैंप में उन्होंने कहा कि दरअसल यह पारी का महत्व इसलिए अधिक है क्योंकि वह उस दौरान फिटनेस से परेशान थे और दौड़ भी नहीं पा रहे थे। मुझे याद है कि ऐसी मैच विनिंग पारियां सचिन और विराट ने भी खेली हैं।
वैसे मैक्सवेल की उस पारी की तुलना कपिल देव की ज़िम्बाब्वे में खेली पारी से की जा रही है। कपिल ने 1983 वर्ल्ड कप में 175 रनों की नाबाद पारी खेली थी। रवि शास्त्री का कहना है कि मैक्सवेल की पारी भी उसी स्तर की थी।
हालांकि ये बयान सौरभ और शास्त्री के हैं लेकिन सच यह है कि यह पारी कई मायनों में खास है। एक, इस पारी की बदौलत ऑस्ट्रेलिया अफगानिस्तान की टीम से हार से बच गई। अगर हारती तो उसकी अच्छी खासी फज़ीहत होती। दो, 91 रन में सात विकेट खोने के कारण स्थितियां ऑस्ट्रेलिया से उलट थी और मैक्सवेल ने पुछल्ला बल्लेबाज़ों के साथ खेलकर मैच का नक्शा पलट दिया। तीन, क्या नम्बर छह के बल्लेबाज़ का डबल सेंचुरी बनाना खास घटना नहीं है। इस पोज़ीशन पर आकर सेंचुरी बनाना ही बड़ी बात है। मगर यह तो मैच जिताऊ डबल सेंचुरी थी। चार, इस जीत की वजह से ऑस्ट्रेलिया की टीम सेमीफाइनल में जगह पक्की करने में सफल रही। पांच, कमर के निचले हिस्से में मैक्सवेल को पहले से परेशानी थी। जांघ की मासपेशियों में भी खिंचाव आ गया। रही सही कसर क्रैम्प ने पूरी कर दी। अफगानिस्तान के क्वालिटी अटैक को शरीर की परेशानी के बावजूद पंगु बनाने का काम उनसे पहले किसी ने नहीं किया। ज़ाहिर है कि क्रिकेट को निष्पक्ष रूप से देखने पर यह पारी विशिष्ट लगती है।