एंडरसन, बुमराह और कुलदीप का मैजिशियन अंदाज़ और यशस्वी की जायस (बॉल) शैली

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बढ़त हैदराबाद में भी अच्छी खासी मिली थी और इस बार वाईज़ैक में भी लेकिन पिछले सबक को देखते हुए आशान्वित नहीं हुआ जा सकता। यशस्वी, बुमराह और कुलदीप ने अपने प्रदर्शन से उम्मीदें ज़रूर जगाई हैं जिससे यह कयास ज़रूर लगाए जा सकते हैं कि जो इंग्लैंड के पिछले दौरे में हुआ, वही इस बार भी होगा। पिछली बार भारत चेन्नई का पहला टेस्ट हारने के बाद सीरीज़ के बाकी सभी मैच जीतने में सफल रहा था।

वाईज़ैक की पब्लिक अपने गेंदबाज़ों से मैजिक बॉल का लुत्फ उठाना चाहती थी और यह मज़ा उन्हें बुमराह ने भी दिया और कुलदीप यादव ने भी लेकिन जिस तरह जेम्स एंडरसन ने अपने से करीब आधी उम्र के डबल-शतकवीर यशस्वी को परेशान किया, वह दिन का सबसे बड़ा आकर्षण साबित हुआ।

बुमराह ने दिखाया कि किस तरह अलग-अलग शैली से अंग्रेजों को आउट किया जा सकता है। पिछले टेस्ट के सुपर स्टार ओलीपोल को वह इनस्विंगिंग यॉर्कर पर, जो रूट को आउटस्विंगर पर, बेन स्टोक्स को नीची रहती ऑफ कटर पर, जॉनी बेयरस्टो को रिवर्स स्विंग पर और टॉम हार्टले को सामान्य स्विंग गेंद पर आउट करते देखे गए।

दोनों ओर गेंद को रिवर्स स्विंग  कराने की कला में उनका कोई सानी नहीं है। उनकी रिवर्स स्विंग का आलम यह है कि वह बहुत ही चतुराई के साथ दोनों ओर रिवर्स स्विंग करते हैं।

एक तरफ रिवर्स स्विंग कराई जा सकती है और दूसरी ओर रिवर्स कराने के लिए आम तौर पर गेंदें सीधी रह जाती हैं लेकिन बुमराह की दोनों ओर रिवर्स स्विंग पर गेंदें अंदर की ओर आती हैं। यह कमाल उन्होंने विशाखापट्टनम में भी किया और हैदराबाद में भी।

कुलदीप यादव ने दिखाया कि जिस विकेट पर अश्विन और अक्षर बेअसर साबित हुए हों, वहां वह कसी हुई गेंदबाज़ी से दबाव बनाकर विकेट चटका सकते हैं। खासकर उनकी फ्लाइट में लूप का मिश्रण होने से उन्हें खेलना बेहद मुश्किल हो जाता है। ऐसी गेंदों पर बल्लेबाज़ उनके सामने फॉरवर्ड डिफेंसिव शॉट खेलते हुए फंसता है। कुछ यही हाल बेन डकेट और बेन फोक्स का उनके सामने हुआ। कुलदीप के साथ सबसे अच्छी बात यह है कि वह अपनी गेंदबाज़ी में फील्ड बहुत सलीके से सेट करते हैं। शॉर्ट मिडऑन या शॉर्ट मिडविकेट और एक लेग स्लिप वह अक्सर रखते हैं। रेहान अहमद को उन्होंने ऐसी ही हाफ ट्रैकर पर शॉर्ट मिडविकेट पर लपकवाया।

रही बात जेम्स एंडरसन की तो वह निर्विवाद रूप से चैम्पियन बॉलर हैं। 43 की उम्र में उनका रन अप, उनकी दौड़ने की रफ्तार, बॉलिंग में माइंड का बखूबी इस्तेमाल और पहले जैसी असरदार स्विंग गेंदबाज़ी वाकई लाजवाब है। यशस्वी को कम्फर्ट ज़ोन में आने का मौका देना और फिर उन्हें बड़ा शॉट खेलने के लिए मजबूर करने के साथ ही फंसा लेना उनकी गेंदबाज़ी की सबसे बड़ी खासियत रही। उनकी आउटस्विंगर भी अंदर की ओर आती दिखती हैं जिसे बल्लेबाज़ इनस्विंग की तरह खेलने का मन बनाता है लेकिन ऐसी गेंदें आउटस्विंगर होती हैं, जो आखिरी क्षणों में मामूली सा कांटा बदलती हैं और बल्लेबाज़ स्लिप, गली, पॉइंट और विकेटकीपर के हाथों लपक लिया जाता है। उनकी यह खूबी आज भी बदस्तूर बनी हुई है।

इन तीन गेंदबाज़ों के अलावा यशस्वी जायसवाल अभी तक भारतीय बल्लेबाज़ी में वन मैन आर्मी साबित हुए हैं। उनके पास टेम्परामेंट और आक्रामकता दोनों हैं। माइंड का अच्छा इस्तेमाल करते हैं। असरदार होते गेंदबाज़ पर बहुत कम जोखिम लेते हैं और ज़रूरत पड़ने पर स्टेप आउट करके रन गति को तेजी से आगे बढ़ाते हैं। उन्होंने अंग्रेजों की बैज़बॉल शैली का जवाब जायसबॉल शैली से दिया है। अब यदि भारत को इंग्लैंड टीम के पिछले भारत दौरे की क़ामयाबी को दोहराना है तो बाकी बल्लेबाज़ों को भी अपना हुनर दिखाना होगा।

 

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