चार बड़ी चुनौतियों से जूझना होगा अजित आगरकर की अगुवाई में राष्ट्रीयचयन समिति को

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अजित आगरकर बेशक राष्ट्रीय क्रिकेट चयन समिति के अध्यक्ष बन गए हों
लेकिन उनके लिए चुनौतियां कम नहीं हैं। ज़ोनल फॉर्मुले से लेकर दो-दो
वर्ल्ड कप मुक़ाबलों के लिए टीम का गठन करने के लिए उन्हें अभी से देश भर
में उभर रहे खिलाड़ियों पर बारीकी से नज़र रखनी होगी।

आगरकर की सबसे बड़ी चुनौती तो ज़ोनल फॉर्मूले से निपटने की है। इस समय
पश्चिम क्षेत्र से उनके अलावा सलिल अंकोला भी चयन समिति के सदस्य हैं।
यानी एक ज़ोन से दो अधिकारी वहीं उत्तर क्षेत्र से एक भी अधिकारी का न
चुना जाना। सवाल है कि पश्चिम क्षेत्र के ये अधिकारी उत्तर क्षेत्र के
खिलाड़ियों पर पैनी नज़र रख पाएंगे। क्या उत्तर क्षेत्र की प्रतिभाएं
उनके क्षेत्र से चयनकर्ता के न होने से कहीं नज़रअंदाज़ तो नहीं कर दी
जाएंगी। आज उत्तर क्षेत्र से प्रभसिमरन सिहं, वैभव अरोड़ा और हर्षित राणा
जैसी कई प्रतिभाएं सामने आ रही हैं। इन प्रतिभाओं के साथ पूरा न्याय होना
भी आगरकर और उनकी टीम की बड़ी ज़िम्मेदारी होगी। कुछ ऐसी ही स्थिति
पश्चिम क्षेत्र के साथ भी थी, जब सलिल अंकोला के चयन से पहले तकरीबन छह
महीने तक कोई भी उस क्षेत्र से चयनकर्ता उपलब्ध नहीं था। दरअसल, एबी
कुरुविला के चयन समिति से हटने के बाद से पश्चिम क्षेत्र से कोई भी
चयनकर्ता लम्बे समय तक नहीं चुना गया। गौर करने वाली बात यह है कि इन दो
वर्षों में पश्चिम क्षेत्र से सरफराज़ खान का टैलंट सामने आया लेकिन
लगातार अच्छा प्रदर्शन करने के बावजूद इस खिलाड़ी का अनदेखी की गई।

इन दिनों दिलीप ट्रॉफी के सेमीफाइनल शुरू हो चुके हैं। पांचों चयनकर्ताओं
के पास इन मुक़ाबलों को लेकर बड़ी ज़िम्मेदारी होगी क्योंकि दोनों
सेमीफाइनल मुक़ाबलों में टीम इंडिया की ओर से खेल चुके तकरीबन आठ खिलाड़ी
मैदान में हैं और कितने ही युवा प्रतिभाशाली खिलाड़ी इन मुक़ाबलों में
खेल रहे हैं। वेस्टइंडीज़ दौरे के लिए टी-20 टीम का चयन भी आगरकर की
नियुक्ति के लिए ही रोका गया था। अगले कुछ दिनों में इस टीम का भी ऐलान
कर दिया जाएगा। इससे भी बड़ी चुनौती इस साल होने वाले वर्ल्ड कप के लिए
टीम के चयन को लेकर होगी, जहां कुछ इंजर्ड खिलाड़ियों के विकल्पों पर
गहनता से विचार किया जाएगा। साथ ही ऋषभ पंत की गैर-मौजूदगी में विकेटकीपर
का चयन भी बड़ी चुनौती रहने वाला है।

अगले साल होने वाले टी-20 वर्ल्ड कप के लिए कैसे युवाओं को अभी से तैयार
किया जाएगा, यह बड़ा पेचीदा सवाल है। ज़ाहिर है कि इसके लिए रोहित शर्मा,
विराट कोहली, रविचंद्रन अश्विन, मोहम्मद शमी और भुवनेश्वर कुमार जैसे
सीनियर खिलाड़ियों से बात करनी होगी क्योंकि इन खिलाड़ियों के हटने की
स्थिति में ही युवा खिलाड़ियों को टीम में मौका मिल सकेगा।

वैसे आगरकर ने मैदान पर हर बड़ी समस्या का हल अपने प्रदर्शन से दिया है।
चाहे लॉर्ड्स के मैदान पर सेंचुरी बनाना हो या 21 गेंदों पर हाफ सेंचुरी
पूरी करना होगा और सबसे कम मैचों में 50 वनडे विकेट पूरे करने का रिकॉर्ड
ही क्यों न हो। इसके अलावा वह 2007 का टी-20 वर्ल्ड कप जीतने वाली टीम के
भी सदस्य रह चुके हैं। पिछले दिनों दिल्ली कैपिटल्स के सहायक बॉलिंग कोच
के पद से इस्तीफा देकर उन्होंने अब बड़ी ज़िम्मेदारी सम्भाल ली है।

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