जिन दिनों विराट कोहली टीम इंडिया के कप्तान थे, तब भारतीय तेज़ गेंदबाज़ों का खूब जलवा हुआ करता था। जसप्रीत बुमराह, मोहम्मद शमी, मोहम्मद सीराज, उमेश यादव और प्रसिद्ध कृष्णा से लेकर तमाम तेज़ गेंदबाज़ों ने इस दौरान भारत की जीत में अहम योगदान दिया लेकिन उसके बाद कई तेज़ गेंदबाज़ों के इंजर्ड होने से भारत की परेशानियां बढ़ गईं।
अब इन परेशानियों को दूर करने का ज़िम्मा नवदीप सैनी और मुकेश कुमार पर है। हालांकि नवदीप सैनी टीम इंडिया के लिए तीनो फॉर्मेट में कुल 21 अंतरराष्ट्रीय मैच खेल चुके हैं जबकि मुकेश कुमार को अभी अपने अंतरराष्ट्रीय करियर की शुरुआत करनी है लेकिन घरेलू क्रिकेट में उन्होंने काफी प्रभावित किया है।
अगर इन दोनों गेंदबाज़ो का बारीकी से आकलन करें तो नवदीप सैनी 145 कि. मी. प्रति घंटे की रफ्तार से लगातार गेंदबाज़ी कर सकते हैं। जिन दिनों वह आरसीबी की ओर से खेला करते थे, तब उन्होंने एक ही ओवर में 150 कि.मी. से अधिक की रफ्तार कई बार निकाली थी जबकि मुकेश कुमार रफ्तार के मामले में उनसे काफी पीछे हैं। 130 से 136 कि.मी. प्रति घंटे की रफ्तार से वह गेंदबाज़ी करते हैं लेकिन उनकी पहचान विकेट चटकाने वाले गेंदबाज़ के रूप में हुई है लेकिन वह लाइन और लेंग्थ के मामले में बेजोड़ हैं। यहां तक कि एक जगह पर लगातार गेंद करने की उनकी खूबी उन्हें टेस्ट का एक बढ़िया गेंदबाज़ साबित करती है। इसी खूबी की वजह से वह टीम इंडिया के बॉलिंग कोच पारस म्हाम्ब्रे की पसंद बन गए हैं। इसके अलावा उनका फिटनेस लेवल भी काफी अच्छा है।
वहीं नवदीप सैनी के साथ सबसे बड़ी समस्या फिटनेस को लेकर रही है। लाइन और लेंग्थ पर भी अक्सर उनका उतना नियंत्रण नहीं रह पाता। इंजरी के साथ उनका पुराना रिश्ता रहा है। वहीं एक सच यह भी है कि अगर वह अच्छी स्विंग और वनडे क्रिकेट की तरह बीच-बीच यॉर्कर गेंदें करने लगे तो उनमें एक बड़ा गेंदबाज़ बनने की खूबी है। वह उस स्थिति में जसप्रीत बुमराह के साथ दूसरे छोर के अच्छे गेंदबाज़ साबित हो सकते हैं।
वैसे फर्स्ट क्लास क्रिकेट के प्रदर्शन के मामले में मुकेश कुमार उनसे बेहतर साबित हुए हैं। उन्होंने 39 मैचों में 21.55 के शानदार औसत से 149 विकेट चटकाए हैं जबकि नवदीप सैनी ने 61 फर्स्ट क्लास मैचों में 175 विकेट ज़रूर चटकाए हैं लेकिन उनका औसत 28.89 रन का रहा है जो मुकेश कुमार के मुक़ाबले काफी कम है।