भारत के घरेलू क्रिकेट में मुबई का हमेशा से बोल-बाला रहा है। मुंबई के घरेलू सर्किट ने भारतीय टीम को एक से बढ़कर एक क्रिकेटर दिए हैं। भारत में क्रिकेट कल्चर बेहतर बनाने में मुंबई का अहम योगदान रहा है। क्रिकेट के भगवान सचिन तेंडुलकर से लेकर वर्तमान में रोहित शर्मा तक ये नायाब खिलाड़ी मुंबई की ही देन हैं।इन महान खिलाड़ियों की मौजूदगी ने इस टीम को घरेलू स्तर पर बादशाह बनाया है। मुंबई ने घरेलू क्रिकेट में रणजी ट्रॉफी रिकॉर्ड 41, विजय हजारे चार और सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी एक बार जीती हैं।
पिछले कुछ वर्षों से घरेलू स्तर पर मुंबई पहले जैसा प्रदर्शन नहीं दोहरा पा रही है। रणजी आखिरी बार 2015-16 में जीता था। तब से जरुर मुंबई दो फाइनल खेला है लेकिन खिताब नहीं जीत पाया है।
फिलहाल, वि़जय हजारे ट्रॉफी खेली जा रही है जिसमें अजिंक्य रहाणे की कप्तानी वाली मुंबई बुरे फार्म से जूझ रही है। मंगलवार को खेले मैच में यह टीम उडीसा से हार का सामना करना पड़ा। उडीसा के 199 रनों के जवाब में यह टीम 113 रनों पर ऑलआउट हो गई। टीम के कप्तान रहाणे मात्र सात रन बनाकर पवेलियन लौट गए, अन्य़ मुख्य खिलाड़ी शिवम दुबे भी आठ रनों पर वापस लौट गए। विजय हजारे के इस सीजन यह रहाणे की टीम की दूसरी बड़ी हार है। इससे पहले इस टीम को त्रिपुरा से भी शिकस्त झेलनी पड़ी थी। लगातार दो कमजोर टीमों से हार ने मुंबई की इस टूर्नामेंट में आगे की राह मुश्किल कर दी है।
घरेलू सर्किट में पिछले कुछ वर्षों में मुंबई की बादशाहत में सेंध आई है। इस टीम में अब भी अजिंक्य, शार्दुल और शिवम दुबे जैसे बड़े नाम शामिल है। रणजी में यह टीम बहुत बेहतर दिखती है लेकिन विजय हजारे (50 ओवर) और सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी (20ओवर) में यह टीम काफी समय से कमाल नहीं कर पाई है।