राहुल द्रविड़ के लिए यह वर्ल्ड कप बहुत खास है। द्रविड़ एक खिलाड़ी और कप्तान के रूप में वर्ल्ड कप नहीं जीते हैं। द्रविड़ उस समय टीम के कप्तान थे और वह वर्ल्ड कप भारत के लिए बहुत शर्मनाक था। सचिन, सहवाग, युवराज, गांगुली जैसे सितारों से सजी भारतीय टीम खिताब जीतने की प्रबल दावेदार थी लेकिन पहले ही दौर से बाहर होना एक बुरे सपने जैसा था। द्रविड़ वर्तमान में भारतीय टीम के कोच हैं और हमेशा से वर्ल्ड कप जीतना किसी भी कोच और कप्तान की एक बड़ी उपलब्धि मानी जाती है।
राहुल द्रविड़ का कोचिंग भविष्य इस टूर्नामेंट पर निर्भर करेगा। विराट कोहली और रवि शास्त्री की जोड़ी किसी भी आइसीसी टूर्नामेंट को नहीं जीत पाई। विराट कोहली की कप्तानी में भारत ने विदेश में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया था। ऑस्ट्रेलिया में टेस्ट सीरीज जीतने से लेकर इंग्लैंड में 2-2 से सीरीज बराबर करना, लगातार दो वर्ल्ड चैपिंयनशिप फाइनल खेलना हो, यह कहना गलत नहीं होगा कि रवि शास्त्री और विराट कोहली की जुगलबंदी भारत के टेस्ट क्रिकेट को उस ऊंचाई पर ले गई जो एक सपना हुआ करता था। फिर भी आइसीसी खिताब का सूखा इस जोड़ी की सफलता में एक दाग सा है।
वर्ल्ड कप, द्रविड़ के कोचिंग कार्यकाल का अंतिम पड़ाव हो सकता है। 2021 टी-20 वर्ल्ड कप के बाद भारतीय क्रिकेट इस उम्मीद के साथ राहुल द्रविड़ और रोहित शर्मा के दौर में प्रवेश किया कि भारत का आइसीसी टूर्नामेंट का सूखा ये जोड़ी खत्म करेगी लेकिन फैंस एक 2013 से इंतजार अभी भी जारी है।
द्रविड़ अपनी विरासत को लेकर ज्यादा गंभीर नहीं हैं। एशिया कप के लिए श्रीलंका रवाना होने से पहले जब उनसे पूछा गया कि क्या विश्व कप की जीत की सम्भावनाओं के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि वह विश्व कप जीत की विरासत का हिस्सा नहीं हैं। घर पर विश्व कप खेलना रोमांचक है। इसके साथ ही घर में खेलने का दबाव भी है लेकिन यह कुछ ऐसा है जिसकी हम सभी उम्मीद करते हैं। एक कोच के रूप में मैं टूर्नामेंट का इंतजार कर रहा हूं। मैं भविष्य की चिंता नहीं करता।
कोच के रूप में द्रविड़ का कार्यकाल वर्ल्ड कप के बाद समाप्त हो जाएगा और द्रविड़ भी वर्ल्ड कप जीतकर अपने क्रिकेटिंग जीवन के इस अध्याय को एक सुनहरा अंत देना चाहेंगे।