इन दिनों यशस्वी जायसवाल का खौफ अंग्रेजों के सिर चढ़कर बोल रहा है। 2012 के भारत दौरे के इंग्लैंड के हीरो एलिएस्टर कुक और मोंटी पनेसर ने खास तौर पर यशस्वी पर ही अपनी राय व्यक्त की है और अपनी टीम को सलाह दी है कि सीरीज़ के बचे हुए दोनों मैचों में यशस्वी से बचकर रहना।
मोंटी पनेसर ने 2012 के भारत दौरे में खासकर सचिन तेंडुलकर को काफी परेशान किया था। ग्रेम स्वान के साथ उनकी जोड़ी बेहद असरदार साबित हुई थी। उन्होंने कहा कि यशस्वी पर लगाम लगाने की तकनीक उन्होंने ढूंढ ली है। उनका कहना है कि उन्हें इंग्लैंड को रांची टेस्ट में ही पांचवें या छठे स्टम्प पर गेंदबाज़ी करनी चाहिए। यानी वह यह कहना चाहते हैं कि उनकी पहुंच से दूर करेंगे तो वह स्ट्रोक खेलने के लिए बाहर की तरफ आएंगे और वहीं वह कुछ ग़लतियां कर बैंठेंगे। उनका कहना है कि गेंद की लाइन में आकर स्ट्रोक खेलने में उन्हें परेशानी आएगी। मोंटी ने यह भी कहा कि उन्हें जल्द से जल्द आउट करके टीम का मनोबल बढ़ेगा और यह नुस्खा टीम के लिए बहुत खास साबित हो सकता है।
विशाखापट्टनम टेस्ट की पहली पारी में यशस्वी भारत के वन मैन आर्मी साबित हुए थे। टीम का अन्य कोई भी बल्लेबाज़ उस पारी में 40 रन भी नहीं बना पाया था। दूसरी पारी में जब तक रोहित शर्मा क्रीज़ पर थे, तब तक उन्होंने खुद पर संयम बनाकर रखा और पारी का पहला चौका 16वें ओवर में लगाया। ऐसा टेम्परामेंट वह सीरीज़ में वह पहले भी दिखा चुके हैं। रोसेऊ में वेस्टइंडीज़ के खिलाफ उनकी शानदार सेंचुरी इसी टेम्परामेंट का उदाहरण थी। मगर एक बार जब उनका बल्ला खुलने लगता है तो फिर वह थमने का नाम नहीं लेते। एक पारी में सबसे ज़्यादा छक्के, मैच में सबसे ज़्यादा छक्के, सीरीज़ में सबसे ज़्यादा छक्के इसी बात की मिसाल है कि उन्हें लाफ्टेड शॉट खेलने से कोई परहेज नहीं है। सच तो यह है कि ऐसे शॉट्स से वह विपक्षी गेंदबाज़ों की लय बिगाड़ देते हैं।
यशस्वी के लिए हालांकि साउथ अफ्रीकी दौरा बहुत यादगार नहीं रहा। इससे ज़ाहिर है कि ऑस्ट्रेलिया की उछालभरी पिचें या फिर इंग्लैंड की स्विंग लेती गेंदें उनके लिए खासी चुनौतीपूर्ण हो सकती हैं। उनके कोच ज्वाला सिंह का कहना है कि वे पिचें चुनौतीपूर्ण ज़रूर होंगी लेकिन ऐसी चुनौतियों का सामना करने में उन्हें खूब मज़ा आता है।