राजकोट जरूर भारतीय टीम जीत के साथ पहुंची थी। बस राहत थी कि सीरीज में वापसी कर ली लेकिन उस जीत ने रोहित शर्मा की चिंताओं को कम नहीं किया था। मुख्य खिलाड़ियों की कमी,अनुभवहीन मिडिल आर्डर, कप्तान का फार्म और सबसे बड़ा शुभमन गिल का आत्मविश्वास, ऐसे कुछ सवाल थे जो भारतीय खेमे में तीसरे टेस्ट से पहले पनप रहे थे।
टॉस जीतकर सपाट पिच पर बिना किसी दोहरे विचार के भारतीय कप्तान रोहित शर्मा ने बैटिंग करने का फैसला किया। मैच शुरू होते ही दिखा कि तेज गेंदबाजों के लिए पिच पर मदद है और जेम्स एंडरसन और मार्क वुड ने इसी का फायदा उठाते हुए भारत के टॉप आर्डर को तोड़ कर रख दिया। पिछले मैच में सेचुरी बनाने वाले यशस्वी मार्क वुड की गेंद पर स्लिप में जो रूट को कैच थमा बैठे। यशस्वी के इस विकेट में और साउथ अफ्रीका दौरे में वह जैसे आउट हुए थे, उसमें बहुत सारी समानताएं थीं।
यशस्वी के बाद पिच में उतरते हैं भारत के मिडिल आर्डर की एक और बड़ी कमजोरी शुभमन गिल। इस युवा बल्लेबाज ने विशाखापत्तनम की दूसरी पारी में सेंचुरी जड़ फार्म के आने के संकेत दिए थे लेकिन आत्मविश्वास को लेकर राजकोट टेस्ट में उतरने से पहले तक सवाल बरकरार थे। गिल ने उन सवालों को और हवा दी और एंडरसन के खिलाफ पहली ही गेंद पर चूक गए। एलबीडब्ल्यू की अपील हुई लेकिन बल्ले के हल्के किनारे की वजह से उन्हें थोड़ी देर की और मोहलत मिल गई। गिल मात्र नौ गेंद ही खेल पाए। इन नौ गेंदों के दौरान उनमें वह आत्मविश्वास नहीं दिखा। गेंद पिच पर पड़ने के बाद बाहर जाएगी या अंदर आएगी, इसी को लेकर उनके मन में दोहरे विचार चलते रहे। शरीर के भार को फ्रंटफुट में लाने की कोशिश में वह असफल हुए और मार्क वुड की बाहर जाती गेंद को शरीर से बहुत दूर खेलते हुए विकेटकीपर बेन फोक्स को वह एक तरह से कैच प्रैक्टिस कराते दिखे। फोक्स ने भी कोई गलती न करते हुए कैच लपक लिया। इस तरह गिल का संघर्ष बिना खोले खत्म हुआ। सपाट विकेट पर इस तरह की शुरुआत रोहित शर्मा की चिंताएं बढ़ा रही थी। वह एक छोर पर खड़े बस यह सब देख रहे थे। गिल के पिछले मैच की दूसरी पारी में सेंचुरी जरूर जड़ी थी लेकिन पारी की शुरुआत में वह लड़खड़ा रहे थे। तीन बार उन्हें जीवनदान मिलता है, एक बार तो भला हो कि उनके जोड़ीदार अय्यर का जिन्होंने गिल को रिव्यू लेने के लिए कहा, नहीं तो इस खिलाड़ी की इस वक्त मानसिक स्थिति का पता इस बात से ही लगाया जा सकता है कि उनको पता ही नहीं था कि गेंद उनके बल्ले से टकराई है। राहुल द्रविड़ को इस सीरीज के दौरान कई बार पिच क्यूरेटर से बात करते हुए देखा गया है। बैटिंग का हाल ऐसा है कि इस सीराज मे अभी तक रैंक टर्नर देखने को नहीं मिला है लेकिन गिल के बार-बार एक ही तरीके से आउट होने से यह तो साफ है कि समस्या पिच नहीं बल्कि खिलाड़ी की तकनीकी है।
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