भारत का टेस्ट क्रिकेट की दूसरी पारी में प्रदर्शन पिछले कुछ वर्षों में बहुत खराब रहा है। खासकर विदेशी दौरों में। अब हाल ही में खत्म हुए बॉक्सिंग डे टेस्ट में मिली करारी हार को ही देखें तो दूसरी पारी में भारतीय टीम 131 रनों पर ही सिमट गई। इस पारी में विराट कोहली को छोड़ अन्य कोई भी बल्लेबाज़ टिककर संयम के साथ बल्लेबाज़ी भी नहीं कर सका। इस साल जून में भी वर्ल्ड टेस्ट चैम्पियनशिप के फाइऩल में दूसरी पारी में भारतीय टीम सस्ते में सिमट गई थी। 444 रनों के लक्ष्य का पीछा करने उतरी रोहित शर्मा की टीम 234 रनों पर ही ऑलआउट हो गई। टेस्ट मैच की चौथी पारी में बल्लेबाजी आसान नहीं होती है लेकिन पिछले कुछ दौरों के प्रदर्शन देख के ऐसा लगता है कि भारतीय खिलाड़ी दूसरी पारी में बल्लेबाजी करना ही भूल जाते हैं।
2018 इंग्लैंड दौरे पर भारतीय टीम के पास एज़बेस्टन टेस्ट जीतने का सुनहरा मौका था। चौथी पारी में भारत को मैच जीतने के लिए 194 रन बनाने थे लेकिन भारतीय टीम 162 रनों पर ही ढेर हो गई। इसी दौरे के रोज बॉल टेस्ट में भारत को चौथी पारी में 245 रनों का टारगेट मिला लेकिन एक बार फिर से भारतीय बल्लेबाज उम्मीदों पर खड़े नहीं उतरें और 184 रनों पर ही पूरी टीम का पुलिंदा बंध गया। टेस्ट मैच की तीसरी और चौथी पारी बहुत अहम होती है। पहली और दूसरी पारी में पिछड़ने के बाद टीमों के पास मैच मे वापसी करने का मौका होता है। भारत 2018 इंग्लैंड दौरे पर टेस्ट सीरीज जीत सकता था।
विराट कोहली का तीसरी पारी में औसत बहुत साधारण रहा है। उन्होंने 52 पारियों में 34.37 के औसत से 1667 रन बनाए हैं। वहीं चौथी पारी में विराट के आंकड़े बेहतर हैं। 27 पारियों में 47 की औसत से विराट ने 1038 रन बनाए
हैं। साउथ अफ्रीका सीरीज में पहली बार ऐसा हो रहा है कि कई वर्षों बाद पुजारा और रहाणे नहीं खेल रहे हैं। टीम इंडिया इन दोनों खिलाड़ियों से अब आगे बढ़ चुकी है लेकिन फिर भी अगर आंकड़ों पर नजर डालें तो पुजारा का तीसरी
पारी में ठीक-ठाक 42 का औसत है जबकि मैच की अंतिम पारी में औसत केवल 30का है। भारतीय कप्तान ने टेस्ट में रफ्तार बहुत देर में पकड़ी । 2021 इंग्लैंड दौरे के बाद रोहित एक टेस्ट बल्लेबाज के रुप मे भी चमके हैं।
इस खिलाड़ी की 90 पारियों में करियर औसत 45 का है। टेस्ट मैच की पहली और दूसरी पारी में रोहित मजबूत दिखें है लेकिन तीसरी पारी में 42 और चौथी पारी में 28 के मामूली औसत ही वह रन बना पाए हैं। मिडिल ऑर्डर के एक और
बल्लेबाज आजिंक्य रहाणे भी तीसरी और चौथी पारी में खूब संघर्ष करते हैं। रहाणे का चौथी पारी में औसत महज 31 का है। सेंचुरियन टेस्ट की पहली पारी में सेंचुरी जड़ने वाले केएल राहुल टीम से लगातार अंदर बाहर होते रहते हैं। राहुल की तीसरी और चौथी पारी में क्रमशः औसत 22 और 25 का रहा है। केएल 2018 इंग्लैंड दौरे पर टेस्ट टीम का हिस्सा थे। सलामी बल्लेबाजी करते हुए वह भारत को एक ठोस शुरुआत देने में असफल रहे थे।
विदेशों में टेस्ट मैच जीतने के लिए भारत को बैटिंग की इस कमजोरी पर काम करना होगा। चौथी पारी मे कई बार लक्ष्य तकरीबन 200 रनों के आसपास रहा है लेकिन फिसड्डी बैटिंग ने कई बार सुनहरें मौकों को जाया जाने दिया है। ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड में मिली टेस्ट सफलताओं का एक बड़ा कारण पुछल्लों द्वारा बनाए गए उपयोगी रन भी हैं। भारतीय टीम अगर अपनी बैटिंग में एकजुटता के साथ प्रदर्शन करती तो शायद अभी तक हम पहली बार साउथ अफ्रीका और 2007 के बाद इंग्लैंड में भी सीरीज जीत गए होते। खासकर मैच की तीसरी और चौथी पारी में।