बेशक पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड एशिया कप का मेजबान है लेकिन वह इस बार इसे
अपने दर्शकों के बीच आयोजित नहीं कर पाएगा। हालांकि इसकी आधिकारिक घोषणा
अभी नहीं हुई है लेकिन टीम इंडिया को पाकिस्तान जाने की अनुमति मिलेगी
नहीं और श्रीलंका और बांग्लादेश के क्रिकेट बोर्ड भी इस मामले में
बीसीसीआई के साथ खड़े दिखाई दिए हैं।
सिर्फ अफगानिस्तान ही इस मामले में पाकिस्तान के साथ है। इसकी वजह हाल
में पाकिस्तान का अफगानिस्तान में अपनी टीम भेजना रहा है। उस सीरीज़ से
अफगानिस्तान को ब्रॉडकास्टर से भी कमाई हुई थी। वैसे इस साल का कैलेंडर
जारी होने के समय ही बीसीसीसीआई ने कह दिया था कि उनकी टीम पाकिस्तान
नहीं जाएगी। हालांकि पीसीबी ने बीच का रास्ता यह कहकर निकालने की कोशिश
की कि भारतीय टीम अपने मैच यूएई में खेले और वहां भारत के खिलाफ खेलने
वाली सभी टीमें यूएई जाएं। हालांकि यह सुझाव भाग लेने वाली टीमों को
ज़्यादा व्यावहारिक नहीं लगा क्योंकि इसके लिए न तो ब्रॉडकास्टर तैयार था
और न ही श्रीलंका और बांग्लादेश की टीमें। वैसे भी एशिया कप के खत्म होने
के 18 दिन में ही भारत में वर्ल्ड कप शुरू हो जाएगा। ऐसी स्थिति में
खिलाड़ी भी बहुत ज़्यादा ट्रैवलिंग से बचना चाहते थे।
अब खबर यह है कि श्रीलंका को इसके मैच होस्ट करने के लिए कह दिया गया है।
ये मैच दाम्बुला और पल्लिकल में आयोजित किए जाएंगे। श्रीलंका क्रिकेट ने
कोलम्बो इसलिए नहीं चुना क्योंकि सितम्बर में वहां मानसून रहता है।
हालांकि यूएई भी इन मैचों की मेजबानी के लिए इच्छुक था लेकिन वहां इस
दौरान पड़ने वाली गर्मी से एशियाई क्रिकेट काउंसिल ने परहेज किया।
मगर वहीं पीसीबी अध्यक्ष नज़म सेठी ने हाईब्रिड मॉडल से एशिया कप को
कराने की ज़िद नहीं छोड़ी है। इस मॉडल के तहत सभी टीमें भारत से यूएई में
खेलतीं। एशियाई क्रिकेट काउंसिल ने यह कहकर पीछा छुड़वा लिया कि जब भाग
लेने वाली टीमें पाकिस्तान नहीं जाना चाहतीं तो वह इस फैसले में उनके साथ
हैं। पिछले दिनों नजम सेठी ने यहां तक कह दिया था कि अगर टीम इंडिया
एशिया कप के लिए पाकिस्तान नहीं आती तो वह भी भारत में होने वाले वर्ल्ड
कप का बहिष्कार करेंगे। ज़ाहिर है कि पाकिस्तान का इससे करोड़ों रुपयों
का नुकसान हो जाएगा। वर्ल्ड कप से हटने की स्थिति में उसे आईसीसी से
मिलने वाली मोटी राशि का नुकसान होगी और एशिया कप से हटने पर उसे बतौर
होस्ट जो आमदनी ब्रॉडकास्टर से होती, उससे वह वंचित रह जाता। इतना ही
नहीं, ब्रॉडकास्टर उसके इस रवैये से परेशान होकर हटने की भी घोषणा कर
सकता है। ऐसी स्थिति में पाकिस्तानी अवाम पीसीबी को कभी माफ नहीं करता
क्योंकि इसी धनराशि से ही उसकी स्टेडियमों का नवीनीकरण करने या नए
स्टेडियम बनाने जैसी मूलभूत सुविधाएं तैयार होतीं।
कहते हैं कि अगर दिन बुरे आए हों तो फिर कोई कुछ नहीं कर सकता। पीसीबी ने
अगर अपनी ज़िद नहीं छोड़ी तो पाकिस्तान के बिना ही एशिया कप आयोजित किया
जाएगा जिसका पाकिस्तान से भी ज़्यादा नुकसान ब्रॉडकास्टर को उठाना
पड़ेगा। उस स्थिति में एशियाई क्रिकेट काउंसिल ने स्पष्ट कर दिया है कि
वह पांच ही टीमों से एशिया कप का आयोजन करेगा। यानी छठी टीम यूएई नहीं
होगी। बहरहाल एशिया कप के एक पूल में भारत, पाकिस्तान और नेपाल की टीमें
हैं जबकि दूसरे पूल में अफगानिस्तान, बांग्लादेश और श्रीलंका की टीमें
हैं। सबकी नज़रें नेपाल पर भी रहेगी।