एकदम बदली हुई टीम नज़र आ रही है पाकिस्तान, जिसकी स्पिन बॉलिंग औरबैटिंग में हुआ ज़बर्दस्त सुधार

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पाकिस्तान टीम की फिज़ा पूरी तरह से बदल गई है। जिस टीम को व्हाइट बॉल
क्रिकेट की एक अच्छी टीम कहा जाता था, उसने रेड बॉल क्रिकेट में भी कमाल
का प्रदर्शन किया और आठ साल बाद श्रीलंका को उसीके घर में हराने का कमाल
कर दिखाया।

पाकिस्तान को आम तौर पर तेज़ गेंदबाज़ जिताते हैं लेकिन इस बार स्पिनरों
और बल्लेबाज़ों ने उसे जिताया। सच तो यह है कि श्रीलंका की कंडीशंस का
जितना अच्छा इस्तेमाल बाएं हाथ के स्पिनर नौमन अली और अबरार ने किया,
उतना अच्छा इस्तेमाल श्रीलंका के स्पिनर भी नहीं कर पाए। हालांकि
पाकिस्तान को श्रीलंका टीम की कमज़ोर तेज़ गेंदबाज़ी का भी फायदा मिला।

कौन सोच सकता था कि जो काम पाकिस्तान के हीरो बाबर आजम 48 टेस्टों में भी
नहीं कर पाए थे, वह काम साउद शकील ने छठे और अब्दुल्लाह शफीक ने 13वें
टेस्ट मैचों में कर दिखाया। यह कमाल था डबल सेंचुरी लगाने का। शकील ने
गॉल टेस्ट में डबल सेंचुरी लगाई और फिर यही कमाल शफीक ने कोलम्बो में कर
दिखाया। दोनों के खेलने की शैली अलग-अलग है। साउद शकील ने पहले सात टेस्ट
में आठ बार 50 से अधिक का स्कोर बनाया जिसमें उनकी एक सेंचुरी और एक डबल
सेंचुरी शामिल है। इस तरह सात टेस्टों में पौने नौ सौ रन बनाकर उन्होंने
एक तरह से रनों का अम्बार लगा दिया। स्वीप शॉट उनकी ताक़त है जिसके दम पर
वह खासकर स्पिनरों के सामने वह रुककर भी खेलते हैं और कदमों का इस्तेमाल
करके भी तेज़ी से रन गति को आगे बढ़ाते हैं।

शफीक की सबसे बड़ी खूबी यह है कि वह न सिर्फ स्ट्राइक रोटेट करके रन गति
को आगे बढ़ाते हैं बल्कि फील्डरों के बीच से गैप का भी अच्छा इस्तेमाल
करते हैं। उनके पास अच्छा डिफेंस है और विकेट के सामने गेंद को बल्ले के
बीचों बीच लेकर वह तेज़ी से रन बनाते हैं। बाकी आगा सलमान इसी सीरीज़ की
खोज साबित हुए हैं। वैसे वह ज़्यादा जोखिम उठाकर नहीं खेलते। दोनों ओर
स्क्वेयर खेलने पर उनका ध्यान ज़्यादा रहता है लेकिन जब उनके खिलाफ
लगातार ऑफ स्टम्प के बाहर अटैक होता है तो वह कवर दिशा में भी स्ट्रोक
खेलने से नहीं चूकते। इसके अलावा नौमन अली ने बाकी का काम बखूबी कर दिया
जिससे पाकिस्तान ने दूसरा टेस्ट आसानी से जीत लिया। पहले सातों विकेट
चटकाने का मतलब है कि उनका मैच पर पूरी तरह दबदबा होना और श्रीलंका के
बल्लेबाज़ उनके सामने असहाय दिखाई दिए।

इसके अलावा पाकिस्तान की फील्डिंग में ज़बर्द्स्त सुधार आया है। क्लोजिंग
फील्डिंग में भी और दूर खड़े फील्डर्स भी कैच नहीं टपकाते जबकि श्रीलंका
के खिलाड़ियों ने कई कैच टपकाए हैं। अब फील्डिंग शानदार है तो गेंदबाज़ों
का भी मनोबल बढ़ना स्वाभाविक है। बाकी तेज़ गेंदबाज़ी में नसीम ने साबित
कर दिया कि वह सपोर्टिंग पिचों के बिना भी शानदार गेंदबाज़ी करने की कूवत
रखते हैं और अगर नई गेंद स्विंग हो रही है और पुरानी गेंद से उन्हें
रिवर्स स्विंग मिल रहा है तब तो कहने ही क्या।

इस जीत के साथ पाकिस्तान वर्ल्ड टेस्ट चैम्पियनशिप की टेबल में टॉप पर
है। सच तो यह है कि वह अकेली टीम है जिसने अपने दोनों मैच जीते हैं।

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