जिस पर हमने आरोप लगाए, उसी को कमिटी के एक सदस्य ने पिता-तुल्य कह दिया : बजरंग

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इन दिनों पहलवानों के आंदोलन को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर का बनाने की तैयारियां चल रही हैं। पिछले कुछ दिनों से इनके विरोध का तरीका भी थोड़ा बदला है। बजरंग पूनिया ने द डेली गार्डियन के साथ एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में बताया कि वह इस बात को लेकर बेहद नाराज़ हैं कि इस संवेदनशील मामले की जांच की रफ्तार में न तो कोई तेजी आई है और न ही मीडिया से उन्हें अपेक्षित सहयोग मिल रहा है।

बजरंग को जब आस्ताना की उस घटना की ओर याद दिलाया गया कि जब वर्ल्ड चैम्पियनशिप में इंडिया का नाम आते ही हर कोई बजरंग को देखने के लिए उतावला हो जाता था। क्या इस मसले के ग्लोबल रूप देने से उसी इंडिया की प्रतिष्ठा प्रभावित नहीं होगी। इसके जवाब में बजरंग ने कहा कि अगर हमारे प्रदर्शन का कुछ भी संज्ञान लिया गया होता तो हमें न्याय के लिए यहां न बैठना पड़ता। 24 दिन हो गए हैं, हमसे तो किसी ने बात नही की। यही हमारे देश का दुर्भाग्य है। जब हम मेडल जीतते हैं तो पूरा देश पूजता है और जब न्याय की बात आती है तो उसे जात-पात या हरियाणा-यूपी में बांट दिया जाता है। इससे गंदी राजनीति भला और क्या हो सकती है।

इस आंदोलन को राष्ट्रव्यापी रूप देने के सवाल पर बजरंग ने कहा कि हम सबको यह नहीं कह रहे कि यहां आकर हमें समर्थन दो। बेटियों को न्याय दिलाने की लड़ाई में हमारा साथ देने की हम अपील करते हैं। हम प्रधानमंत्री और गृहमंत्री से बेटियों के लिए न्याय की गुहार लगा रहे हैं क्योंकि ये ही कहते हैं कि `बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ`। पुलिस की जांच की रफ्तार से भी बजरंग आहत हैं। उनका कहना है कि उन्हें भी समझना चाहिए कि उनके परिवार में भी बेटियां और बहने हैं। वे हमारे दर्द को समझते ज़रूर हैं लेकिन उन पर भी दबाव है। बजरंग ने कहा कि इस समस्या को जल्द हल करें जिससे देश की प्रतिष्ठा को आहत होने से बचाया जा सके।  

ओवरसाइट कमिटी के रवैये से बजरंग बेहद आहत हैं। उनका कहना है कि बृजभूषण शरण सिंह पर ही हमने आरोप लगाए हैं और उन्हें ही कमिटी के एक सदस्य ने हमारे लिए पिता तुल्य बता दिया। पिता तुल्य तो और भी बहुत से लोग हैं जो जेल में हैं। उनका नाम यहां लेना मुनासिब नहीं होगा। उनका काम आरोपों की जांच करना है। बजरंग ने कहा कि कमिटी में कई खिलाड़ी थे, वह भी इस मसले पर हमारे साथ नहीं हैं। आखिर कुर्सी इतनी प्यारी कब से हो गई कि जिस खेल ने इतना कुछ दिया, उसे ही भूल जाओ। दरअसल, कमिटी के सदस्यों में भी आपसे में बहुत मतभेद हैं। जब उनका आपस में ही तालमेल नहीं है तो वे लोग हमें क्या न्याय दिलाएंगे। बीजेपी में महिला सांसदों को लिखे पत्र के सवाल के जवाब में बजरंग ने कहा कि किसी भी पत्र का कोई जवाब नहीं आया है। बजरंग ने कहा कि हमारी यह भी मांग है कि डब्ल्यूएफआई के चुनावों में कुश्ती से जुड़े अच्छे लोग ही सामने आएं। ऐसे व्यक्ति न आएं जो उन्हीं के आदमी हों।

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