बीसीसीआई का अड़ियल रवैया एक बार सामने आया। उसने अक्टूबर-नवम्बर में हांगझाऊ (चीन) में होने वाले एशियाई खेलों में अपनी टीमें भेजने से मना कर दिया है। यानी उसके रवैये से भारत को कम से कम दो पदकों का नुकसान हुआ है। ये दोनों पदक गोल्ड भी हो सकते थे।
दरअसल बीसीसीआई अपनी टीमों को भारतीय ओलिम्पिक एसोसिएशन (आईओए) के बैनर तले भेजने से बचना चाहता है। अब डोपिंग भी कोई मसला नहीं रह गया है क्योंकि वर्ल्ड एंटी डोपिंग एजेंसी (वाडा) का आईसीसी से करार है इसलिए इससे बचने का भी कोई कारण समझ से परे हैं।
बीसीसीआई ने इन खेलों के लिए अपनी टीम न भेजने के दो कारण बताए हैं। पहला यह कि उन्हें भारतीय ओलिम्पिक संघ का मेल इन खेलों की डेडलाइन से एक दिन पहले ही मिल पाया और दूसरे, इन दौरान भारत की पुरुष और महिला टीमों के कार्यक्रम आईसीसी की एफटीपी के अनुसार पहले से तय थे। इनमें पहला कारण एकदम बेतुका है क्योंकि कोई भी बोर्ड देश की प्रतिष्ठा से बड़ा नहीं है। अगर डेडलाइन से एक दिन पहले उसे यह जानकारी मिली है तो इसकी बोर्ड अध्यक्ष या कार्यकारी समिति से स्काइब के ज़रिए अनुमति लेकर इसकी आईओए को जानकारी मेल के ज़रिए दी जा सकती थी। रही बात, एशियाई खेलों के दौरान दोनों टीमों के उपलब्ध न होने की, इस बात में दम है लेकिन इसका भी रास्ता निकाला जा सकता था। क्या दो टीमें दो आयोजनों पर नहीं भेजी जा सकती थी। माना कि पुरुष टीम उस दौरान भारत में वर्ल्ड कप में खेल रही होगी और महिला टीम न्यूज़ीलैंड और साउथ अफ्रीका के साथ सीमित ओवर के क्रिकेट में व्यस्त होगी, लेकिन क्या आईपीएल और डब्ल्यूपीएल में शानदार प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ियों की टीम बनाकर उन्हें मौका नहीं दिया जाना चाहिए था। वैसे भी ऐसा अतीत में होता रहा है। 1998 में कॉमनवेल्थ गेम्स में क्रिकेट को शामिल किया गया था। करीब-करीब उन्हीं दिनों सहारा कप का आयोजन हो रहा था। बीसीसीआई ने इन दोनों आयोजनों के लिए अलग अलग टीमें भेजी थीं। कॉमनवेल्थ गेम्स के लिए भारतीय टीम में सचिन तेंडुलकर ने भी हिस्सा लिया था। वह बात अलग है कि भारतीय टीम अपना पहला ही मैच ऑस्ट्रेलिया से हार गई थी। इसी तरह 2021 में भी भारत की दो टीमों ने अलग-अलग दौरे किए थे। तब एक टीम शिखर धवन की अगुवाई में श्रीलंका के दौरे पर गई थी और दूसरी टीम विराट कोहली के नेतृत्व में इंग्लैड में टेस्ट सीरीज़ में व्यस्त थी।
इस बारे में एशियाई खेलों में भारत के दल प्रमुख भूपेंदर सिंह बाजवा ने बीसीसीआई के उन आरोपों का खंडन किया कि उन्हें डेडलाइन से एक दिन पहले ही इसकी मेल से जानकारी दी गई थी। उन्होंने कहा कि बीसीसीआई को इस बारे में तीन से चार मेल किए गए थे।
यहां गौरतलब है कि बीसीसीआई ने अपनी वेबसाइट पर भारतीय महिला टीम की सितम्बर-अक्टूबर में होने वाली किसी सीरीज़ के बारे में कोई जानकारी नहीं दी है। ऐसा पहली बार नहीं हो रहा। 2010 और 2014 के एशियाई खेलों में भी बीसीसीआई ने अपनी कोई टीम नहीं भेजी थी। पहले आयोजन में पुरुषों का खिताब बांग्लादेश ने और महिलाओं का खिताब पाकिस्तान ने अपने नाम किया था। इसके चार साल बाद श्रीलंका और पाकिस्तान ने क्रमश: पुरुषों और महिलाओं के खिताब जीते थे। आखिरकार 2018 के एशियाई खेलों में क्रिकेट को हटा दिया गया।