इस वर्ल्ड कप में डेवन कॉन्वे और रचिन रवींद्र ने अपनी शानदार बल्लेबाज़ी से उम्मीदें जगा दी हैं। इन दोनों का चमकना बाकी टीमों के लिए खतरे की घंटी है। इन दोनों की बल्लेबाज़ी से यह भी ज़ाहिर होता है कि न्यूज़ीलैंड की टीम यहां खासकर स्पिन के खिलाफ कितनी पुख्ता तैयारी के साथ आई है।
2021 के बाद से वनडे में स्पिन के खिलाफ बल्लेबाजी औसत के मामले में कीवी टीम (40.45 पर) केवल भारत (42.07) से पीछे है। कॉन्वे, विलियम्सन, रचिन रवींद्र, डैरेल मिचेल, ग्लेन फिलिप्स, टॉम लाथम और मार्क चैपमैन सभी स्पिन के अच्छे खिलाड़ी हैं। जैसे-जैसे वर्ल्ड कप आगे बढ़ेगा, पिचें धीमी होती जाएंगी जिससे स्पिनरों को अधिक मदद मिलेगी और वैसी कंडीशंस में यह टीम दूसरी टीमों से बेहतर प्रदर्शन करने की ताकत रखती है।
नरेंद्र मोदी स्टेडियम में न्यूजीलैंड तीन विकेटकीपर बल्लेबाजों, दो गेंदबाज़ों, पांच बैटिंग आलराउंडर, एक बॉलिंग आलराउंडर के साथ उतरी थी। इस कॉम्बिनेशन के साथ उतरकर भी इस कीवी टीम ने इंग्लैंड जैसी मज़बूत बैटिंग लाइन-अप को कम स्कोर पर रोक लिया। यह सोचना भी मुश्किल है कि इस विश्व कप में कितनी टीमें अपने तीन सर्वश्रेष्ठ गेंदबाजों के बिना उतर सकती हैं। मोहम्मद सिराज, जसप्रीत बुमराह और कुलदीप यादव के बिना क्या भारत कभी उतरने की सोच सकता है। न्यूजीलैंड ने गुरुवार को दिखाया कि इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया की तरह उनके पास भी बल्लेबाजी में गहराई और गेंदबाजी में विकल्प हैं। मिडिल ओवरों में फर्ग्यूसन की अनुपस्थिति में जिमी नीशम ने उनकी भरपाई की। भले ही नीशम फर्ग्यूसन जैसे तेज नहीं हैं लेकिन रनों पर अकुंश लगाने की कला उनमें जरूर है।
कप्तानी में मैच्योर लगे लाथम
टॉम लाथम केन विलियमसन की गैरमौजूदगी में कप्तानी की। उन्होंने अपनी कप्तानी से प्रभावित भी किया। लाथम ने बैकअप विकेटकीपर और शानदार फील्डर ग्लेन फिलिप्स से गेंदबाजी कराई जिन्होंने इंग्लैंड के शीर्ष रन स्कोरर जो रूट का अहम विकेट हासिल किया। सेंचुरी जड़ने वाले रवींद्र गेंद से महंगे साबित हो रहे थे लेकिन फिर भी लाथम ने उनसे पूरे दस ओवर कराए और इंग्लिश बल्लेबाजों को उन पर बाउंड्री लगाने और गलतियां करने को मजबूर किया। न्यूजीलैंड टीम के कई खिलाड़ियों में कप्तानी के गुण हैं। जब लाथम और विलियमसन नहीं थे तब साउदी ने इंग्लैंड के खिलाफ वन-डे सीरीज में यह ज़िम्मेदारी सम्भाली थी।
न्यूजीलैंड ज़्यादातर टीमों की तुलना में बेहतर योजना बनाता है और उसे अंजाम तक पहुंचाता भी है। यह टीम बखूबी इस बात को समझती है कि एक बड़े टूर्नामेंट में जहां अलग-अलग कंडीशंस में नौ टीमों के खिलाफ खेलना हैं, तब एक टीम के रूप मे बेहतर रणनीति के साथ उतरना पड़ेगा। अभी तो बस शुरुआत है, ऐसा समय भी आ सकता है जब कीवी टीम मेजबान भारत से भी बेहतर तैयार दिखें।