बल्लेबाज – सचिन तेंडुलकर, सौरभ गांगुली, राहुल द्रविड़ और वीवीएस
लक्ष्मण – ने भारतीय क्रिकेट को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया था। इन चारों
खिलाड़ियों के बीच एक अनोखा संयोग है और उनकी दोस्ती भारतीय क्रिकेट
इतिहास का एक अद्भुत किस्सा है।
1989 में सचिन तेंडुलकर ने पाकिस्तान के खिलाफ अपने करियर की शुरुआत की
थी। इसके बाद 1996 में सौरभ गांगुली और राहुल द्रविड़ ने इंग्लैंड के
खिलाफ लॉर्ड्स टेस्ट में एक साथ अपने टेस्ट करियर की शुरुआत की थी। वहीं,
वीवीएस लक्ष्मण ने 1996 में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ अपने टेस्ट करियर की
शुरुआत की। इन चारों खिलाड़ियों ने अपने-अपने करियर की शुरुआत में ही
अपने प्रतिभा का प्रदर्शन किया और भारतीय टीम में अपनी जगह पक्की की।
1990 के दशक के अंत और 2000 के दशक की शुरुआत में इन चारों खिलाड़ियों
ने भारतीय क्रिकेट टीम को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया। इनके शानदार प्रदर्शन
और टीम के प्रति समर्पण ने भारतीय क्रिकेट को विश्व मंच पर एक मजबूत ताकत
बनाया। सचिन का अद्वितीय बल्लेबाजी कौशल, सौरभ गांगुली का आक्रामक
नेतृत्व, राहुल द्रविड़ की “द वॉल” की छवि और वीवीएस लक्ष्मण का कलाईयों
का जादू – इन सबने मिलकर भारतीय टीम को सफलता की नई ऊंचाइयां दीं।
सबसे दिलचस्प बात यह है कि इन चारों खिलाड़ियों ने 2000 के दशक में एक
साथ कई यादगार पारियां खेली और टीम को जीत दिलाई। 2001 में कोलकाता में
ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ खेला गया टेस्ट मैच इसका सबसे बड़ा उदाहरण है,
जिसमें राहुल द्रविड़ और वीवीएस लक्ष्मण की ऐतिहासिक साझेदारी ने भारत को
एक असंभव जीत दिलाई। इसके अलावा 2002 के नेटवेस्ट ट्रॉफी फाइनल में सौरभ
गांगुली और सचिन तेंडुलकर की पारियों ने भारतीय क्रिकेट के इतिहास में एक
नया अध्याय जोड़ा।
इन चारों खिलाड़ियों का करियर न केवल व्यक्तिगत सफलता की कहानियों से भरा
हुआ है, बल्कि टीम के प्रति उनके समर्पण और जुनून का प्रमाण भी है। “फैब
फोर” की दोस्ती, संघर्ष और सफलता की यह कहानी भारतीय क्रिकेट के सुनहरे
अध्यायों में हमेशा जिंदा रहेगी। इनके योगदान ने भारतीय क्रिकेट को एक
मजबूत और विश्वस्तरीय टीम के रूप में स्थापित किया, जिसे आने वाली
पीढ़ियां याद रखेंगी और प्रेरणा लेंगी।