रोशन पांडे

चैम्पियंस ट्रॉफी के लिए भारतीय क्रिकेट टीम का चयन जल्द  होने वाला है। ऐसे में अनुभवी तेज गेंदबाज मोहम्मद शमी का प्रदर्शन चर्चा में है। हालिया घरेलू मैचों में उनकी गेंदबाजी ने चयनकर्ताओं के सामने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। हालांकि हरियाणा के खिलाफ विजय हज़ारे ट्रॉफी के मुकाबले में मोहम्मद शमी का प्रदर्शन औसत ही रहा, जो उनकी चैंपियंस ट्रॉफी में जगह को लेकर संदेह पैदा करता है।

 

हालिया प्रदर्शन पर एक नजर

हरियाणा की टीम ने बंगाल के खिलाफ 50 ओवर में 298 रन बनाए। शमी ने 10 ओवरों में 61 रन देकर तीन विकेट हासिल किए। हालांकि विकेट चटकाने में उनकी क्षमता दिखी लेकिन उनकी इकॉनमी 6.10 रही, जो वनडे जैसे फॉर्मेट में महंगी है। इसके अलावा बल्लेबाजों ने उनकी लेंथ को अच्छे से पढ़ते हुए कई बाउंड्रियां लगाईं।

 

दबाव में प्रदर्शन की कमी

शमी जैसे अनुभवी खिलाड़ी से उम्मीद की जाती है कि वह दबाव के समय टीम के लिए विकेट निकालें। हालांकि, इस मैच में शमी का प्रदर्शन उस स्तर का नहीं रहा। हरियाणा के बल्लेबाज, विशेष रूप से निखिल सिंधु (64) और प्रतीक वत्स (62) ने शमी की गेंदों पर आसानी से रन बनाए।

 

युवाओं को मौका देने की जरूरत

आज के समय में भारतीय टीम के पास तेज गेंदबाजों की लंबी फेहरिस्त है। मुकेश कुमार, खलील अहमद,  और हर्षित राणा जैसे युवा गेंदबाज लगातार अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं। ऐसे में शमी का प्रदर्शन उनके लिए खतरे की घंटी साबित हो सकता है।

 

आखिरी फैसला चयनकर्ताओं के हाथ में

शमी का अनुभव निश्चित रूप से भारतीय टीम के लिए फायदेमंद हो सकता है लेकिन हालिया प्रदर्शन को देखते हुए चयनकर्ताओं के लिए उन्हें टीम में शामिल करना एक कठिन निर्णय होगा। चैम्पियंस ट्रॉफी जैसे बड़े टूर्नामेंट में भारत को न सिर्फ अनुभव बल्कि निरंतरता और धारदार गेंदबाजी की जरूरत होगी।

 

क्या मोहम्मद शमी टीम इंडिया की चैंपियंस ट्रॉफी योजना में फिट बैठेंगे या युवा गेंदबाजों को मौका दिया जाएगा? यह देखना दिलचस्प होगा।

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