पाकिस्तान के पूर्व सलामी बल्लेबाज़ सईद अनवर से लेकर ऑस्ट्रेलिया के पूर्व कप्तान आरोन फिंच टीम इंडिया को वर्ल्ड कप के लिए अनेक तरह के सुझाव दे रहे हैं। इनके ज़्यादातर सुझाव एकपक्षीय हैं जिनमें दूसरे पक्ष की अनदेखी भी साफ तौर पर दिखाई दे रही है।
अनवर के दो सुझाव हैं। उनका कहना है कि टीम इंडिया को छोटे मैदानों का नुकसान हो सकता है और दूसरी बड़ी दिक्कत गेंदबाज़ों का स्लॉग ओवरों में रन न रोक पाना है। वहीं फिंच ने अश्विन पर निशाना साधते हुए कहा है कि उन्हें 15 खिलाड़ियों में जगह नहीं मिलेगी। वह टीम के मेंटर बनने के लायक हैं।
पहले बात अनवर की दो आशंकाओं की। इसमें कोई दो राय नहीं कि चेन्नै का चिदम्बरम स्टेडियम, बैंगलुरु का चिन्नास्वामी स्टेडियम, नई दिल्ला का कोटला मैदान और मुम्बई का वानखेड़े स्टेडियम के आकार छोटे हैं। चिदम्बरम स्टेडियम में जहां 65 से 68 मीटर की बाउंड्री है तो वहीं चिन्नास्वामी स्टेडियम में साइड बाउंड्री 55 से 57 मीटर और सामने 62 से 65 मीटर की बाउंड्री है। कोटला में स्कवेयर बाउंड्री 65 मी. और सामने 68 मी. की बाउंड्री है। वानखेड़े स्टेडियम में साइड बाउंड्री 64 से 68 मीटर और सामने की 68 से 72 मी. है। चेन्नै में भारत को ऑस्ट्रेलिया से खेलना है। स्पिन गेंदबाज़ी भारत की बड़ी ताकत है। छोटा मैदान होने की वजह से स्पिनरों को ज़्यादा प्रयोग करने का मौका नहीं रहेगा। बैंगलुरु में भारत को नीदरलैंड से और नई दिल्ली में अफगानिस्तान से खेलना है, इसलिए ज़्यादा चिंता की बात नहीं है। वहीं मुम्बई में श्रीलंका के खिलाफ मैच बेहद रोमांचक होने की उम्मीद है। वहीं लखनऊ में इंग्लैंड, पुणे में बांग्लादेश, अहमदाबाद में पाकिस्तान, कोलकाता में साउथ अफ्रीका और धर्मशाला में न्यूज़ीलैंड के खिलाफ खेलना है। ये सभी मैदान आकार में बड़े हैं।
अनवर की दूसरी आशंका हमारे गेंदबाज़ो का स्लॉग ओवरों में रन न रोक पाना है। इस मामले की पड़ताल करने पर हम पाते हैं कि ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पहले वनडे में आखिरी दस ओवरों में भारत ने 89 और दूसरे वनडे में 97 रन खर्च किए। एशिया कप में बांग्लादेश के खिलाफ इन दस ओवरों में 77 रन खर्च किए। यहां चिंता की बात यह है कि विपक्षी टीम के पुछल्ला बल्लेबाज़ों ने ये रन बनाए हैं। दूसरे वनडे में तो आठवें नम्बर के बल्लेबाज़ शॉन एबट और दसवें नम्बर के बल्लेबाज़ जोश हैज़लवुड ने शमी, अश्विन, जडेजा और प्रसिद्ध कृष्णा पर खूब रन बनाए। वहीं तस्वीर का एक दूसरा रुख भी है और वह यह कि दूसरे वनडे में बुमराह, सीराज, हार्दिक पांड्या और कुलदीप यादव नहीं खेले। ये चारों बांग्लादेश के खिलाफ एशिया कप में भी नहीं खेले थे। इनमें से आखिरी तीन गेंदबाज़ पहले वनडे में भी टीम का हिस्सा नहीं थे। ज़ाहिर है कि फ्रंटलाइन गेंदबाज़ों के न होने का असर भारत की गेंदबाज़ी पर साफ दिखाई दिया।
रही बात फिंच की आलोचना की तो शायद वह यह भूल रहे हैं कि अश्विन ने जिस तरह अपनी कैरम और रिवर्स कैरम बॉल पर दूसरे वनडे में विकेट चटकाए हैं, वह एक तरह से सभी टीमों के बल्लेबाज़ों के लिए खतरे की घंटी है। साउथ अफ्रीका के पूर्व बल्लेबाज़ एबी डिविलियर्स ने कहा भी है कि उनका चयन दुनिया भर के बल्लेबाज़ों के लिए बड़ी चुनौती होगा क्योंकि वह हमेशा दबाव के क्षणों में टीम के लिए कारगर साबित होते हैं।