गौतम प्रजापति


पर्थ को दुनिया के सबसे तेज पिचों में से एक माना जाता है। इस ग्राउंड को वाका (WACA) के नाम से भी जाना जाता है। यहां की पिच पर गेंद तेज़ी से उछलती है और उतनी ही रफ्तार से आती है जिससे गेंदबाजों को काफी मदद मिलती है। हालांकि यह पिच खास तौर पर तेज़ गेंदबाजों के लिए मददगार रही है।

वाका के ऐतिहासिक रिकॉर्ड में 1980-90 के दशक में डेनिस लिली, मैकग्रॉ और शोएब अख्तर जैसे तेज़ गेंदबाज़ो ने अपनी पहचान बनाई। इस ग्राउंड पर तेज़ गेंदबाजों के लिए सफलता की अधिक संभावना रही है और यहां पर हमेशा से ही बल्लेबाजों के लिए खेलना चुनौतीपूर्ण रहा है।

हालांकि 2018 में पर्थ ग्राउंड का स्थान बदलकर नए ऑप्टस स्टेडियम में शिफ्ट हो गया लेकिन पुराने वाका मैदान पर तेज़ पिच का रिकॉर्ड आज भी क्रिकेट इतिहास में अहम स्थान रखता है।

पर्थ को दुनिया की सबसे तेज विकेट इसलिए भी कहा जाता है क्योंकि यहां की पिच पर गेंदबाजों को बहुत ज्यादा गति और उछाल मिलती है। पर्थ का मैदान तेज गेंदबाजों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है लेकिन इसके पीछे की यह भी वजह है कि पर्थ के मौसम में गर्मी और हल्की नमी होती है। साथ ही पिच की बनावट भी बहुत मजबूत और सख्त होती है जिससे तेज गेंदबाजों को फायदा मिलता है और इस मैदान की पिच पर गति और उछाल बहुत तेज़ होने के कारण बल्लेबाजी करने में मुश्किल होती है। यही कारण है कि पर्थ के इस मैदान को दुनिया के सबसे तेज विकेटों में से एक माना जाता है।

वाका में खेला गया आखिरी सीरीज
2017-18 सीरीज़ में भारत ने अंतिम बार वाका पर टेस्ट मैच खेला था और जिसके बाद वाका का टेस्ट क्रिकेट में इस्तेमाल बंद कर दिया गया। वाका पर आखिरी टेस्ट मैच में भारत ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ एक शानदार जीत दर्ज की थी और इसके साथ ही इस मैदान का टेस्ट क्रिकेट में इतिहास समाप्त हो गया।

 

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