बैज़बॉल का जवाब जायसबॉल। यशस्वी ने दिखा दिया कि वह अपने फन के फनकार हैं। फॉर्मेट चाहे जो भी हो, उसके हिसाब से अपने आपको ढालना और अपनी कमज़ोरियों से सीखना इस खिलाड़ी की सबसे बड़ी विशेषता है। जिन जेम्स एंडरसन के सामने पिछले टेस्ट में वह असहज महसूस कर रहे थे, उन्हीं के एक ओवर में एक छक्के सहित कुल तीन बाउंड्रियां लगाकर उन्होंने यह भी दिखाया कि उन्हें अब रोक पाना मुश्किल है।
हुआ भी कुछ यही। वह राजकोट टेस्ट के तीसरे दिन रिटायर्ड हर्ट होकर लौटे। उन्हें कोई आउट नहीं कर सका। कभी 80 रन की पारी, कभी डबल सेंचुरी और इस बार सेंचुरी। इस सीरीज़ में उनके नाम न सिर्फ सबसे ज्यादा रन हैं बल्कि डब्ल्यूटीसी सीज़न में वह उस्मान ख्वाजा के बाद सबसे अधिक रन बनाने वाले खिलाड़ी भी बन गए हैं। इतना ही नहीं, उन्होंने इंग्लैंड को उसीकी शैली में जवाब दिया। जहां टिकना था, वहां उन्होंने विकेट के महत्व को बखूबी समझा। शायद इसीलिए उनके बल्ले से पहली बाउंड्री पारी के 16वें ओवर में देखने को मिली। बाद के 75 रन उन्होंने केवल 49 गेंदों पर पूरे किए। यानी टेस्ट क्रिकेट में वनडे जैसा रोमांच। जिस बाएं हाथ के स्पिनर टॉम हार्टले पर इंग्लैंड बहुत ज़्यादा भरोसा करता है, उन्हीं पर उन्होंने लांग ऑन के ऊपर से दो छक्के और इसी दिशा में रेहान पर भी छक्का लगाया। उनके दो अन्य छक्के बैकवर्ड स्क्वेयर लेग के ऊपर से देखने को मिले, जो उन्होंने रूट और रेहान पर लगाए।
इंग्लैड के बल्लेबाज़ों के अंदाज़ में स्पिनरों पर स्वीप और लेग स्वीप भी उन्होंने बखूबी लगाए। कट शॉट से उन्होंने परहेज किया लेकिन शुरुआती दो कवर ड्राइव से बाउंड्रियां लगाकर उन्होंने हाथ खोले और फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा। यानी जब उन्होंने आतिशी अंदाज में शॉट खेले तो अंग्रेज बॉलर अपनी लाइन एंड लेंग्थ से भटक गए। उस दौरान कई फुलटॉस गेंदें देखी गईं जिसका खासकर यशस्वी ने खूब फायदा उठाया। एक अच्छी बात यह हुई कि उन्हें इस बार शुभमन गिल का साथ मिला जबकि विशाखापट्टनम में वह वन मैन आर्मी साबित हुए थे। यहां तक कि उनके सामने कोई भी बल्लेबाज़ 35 रन भी नहीं बना सका था।
हर फॉर्मेट के अनुकूल खुद को ढालने का ही नतीजा है कि वह न सिर्फ टी-20 क्रिकेट में भी एक सेंचुरी बना चुके हैं बल्कि 17 मैचों में उनका स्ट्राइक रेट 162 का होना उन्हें हर फॉर्मेट का बेहतरीन खिलाड़ी साबित करता है। आईपीएल में 13 गेंदों पर फिफ्टी बनाने का रिकॉर्ड उनके नाम दर्ज है तो वहीं टेस्ट क्रिकेट में कब मैच को पांचवें गेयर पर ले जाना है और कब धीमा करना है, इसे वह बेहतर तरीके से समझते हैं। इन तीन टेस्ट में जहां उन्होंने अब तक 12 छक्के लगाए हैं, वहीं बिना बाउंड्री से कई-कई ओवर भी निकाले हैं।
स्पिन के सामने नपे तुले शॉट खेलना, शानदार टाइमिंग के साथ गैप ढूंढना और लम्बी पारियां आक्रामक रवैये के साथ खेलना उनकी सबसे बड़ी खूबी है। हालांकि स्विंग को भी अब वह बेहतर तरीके से खेलने लगे हैं लेकिन कई मौकों पर ऐसा भी देखा गया है कि वह ज़्यादा आरामदायक स्थिति में नहीं होते। अच्छे टेम्परामेंट और वक्त के साथ मैच्योर होने के मद्देनज़र उनसे उम्मीद की जाती है कि वह स्विंग के सामने भी उसी मुस्तैदी से शॉट्स खेलेंगे जैसे अन्य गेंदों पर खेलते हैं।