हिमांक द्विवेदी
गौतम गंभीर को टीम इंडिया के कोच बने करीब छह महीने हो गए हैं लेकिन जितनी उनसे बीसीसीआई उमीदें लगा रहा था, उन पर वह खरे नहीं उतर पाए हैं।

भारतीय क्रिकेट टीम के मुख्य कोच पर आगामी चैंम्पियंस ट्रॉफी में अच्छे प्रदर्शन को लेकर बड़ा दबाव बन गया है। पहले श्रीलंका फिर न्यूजीलैंड और अब ऑस्ट्रेलिया से हार। उन्होंने
पिछले साल अगस्त में ही टीम इंडिया के हैड कोच का पद संभाला। उनकी कोचिंग में टीम टी-20 सीरीज और बांग्लादेश से एक टेस्ट सीरीज ही जीतने में कामयाब रही। भारत को इस दौरान श्रीलंका में करीब दो दशक बाद वनडे सीरीज गंवानी पड़ी। फिर न्यूजीलैंड के हाथों क्लीन स्वीप का शिकार होना पड़ा और अब ऑस्ट्रेलिया से दस साल बाद टेस्ट सीरीज से हाथ धोना पड़ा।
पिछले कुछ महीनों में टीम इंडिया के प्रदर्शन में लगातार गिरावट देखी जा रही है। अपने घर में हमारे बल्लेबाज़ स्पिनरों को नहीं खेल पाए जबकि ऑस्ट्रेलिया में भारतीय टीम तेज़ गेंदबाज़ों का सामना नहीं कर पाई। जहां बल्लेबाजों में निरंतरता की कमी दिखाई दी, वहीं गेंदबाजों में बुमराह के अलावा सभी गेंदबाज अहम मौकों पर संघर्ष करते नज़र आए। गंभीर के रणनीतिक फैसलों की आलोचना भी हो रही है, जिसमें टीम संयोजन और मैच के दौरान लिए गए फैसले शामिल हैं।
रोहित और विराट पर भी नज़र
रोहित शर्मा और विराट कोहली की भूमिका को लेकर भी चर्चाएं तेज हो गई हैं। बीसीसीआई के उच्च अधिकारियों का मानना है कि टीम में नए खिलाड़ियों को अधिक मौके देने का समय आ गया है। हालांकि, बोर्ड यह भी समझता है कि इन अनुभवी खिलाड़ियों का अनुभव टीम के लिए अभी भी महत्वपूर्ण है। साथ ही बीसीसीआई युवा खिलाड़ियो के हालिया प्रदर्शन पर नजर बनाए हुए है।
सूत्रों के अनुसार गौतम गंभीर टीम से सुपरस्टार कलचर को खत्म करना चाहते हैं, जिसके बाद टीम के सीनियर खिलड़ियो को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। हाल हीं में बीसीसीआई ने खिलाड़ियों के परिवार को दौरों पर साथ ले जाने को सीमित कर दिया है। साथ ही परफॉर्मेंस न होने पर पैसे कटने का निर्देश भी दिया गया है।
अब इन सबके बाद यदि गौतम गंभीर टीम की खोई हुई फॉर्म को वापस नहीं ला पाए तो बीसीसीआई गंभीर पर कड़े कदम उठा सकता है।