~दीपक अग्रहरी
पोर्ट ऑफ स्पेन टेस्ट के चौथे दिन भारत ने अपनी दूसरी पारी में जिस ताबड़तोड अंदाज में बैंटिग की, उससे यह जाहिर था कि मेहमान सीरीज को जल्द क्लीन स्वीप करना चाहते हैं। भारत ने दूसरी पारी में करीब 7.5 की स्ट्राइक रेट से 181 रन बनाए। मैच में लगातार बारिश ने खलल डाला, जिसके कारण कुछ सेशन भी बारिश में धुल गया। फिर भी मैच अपने निर्णायक दिन रोमाचंक मोड़ पर पहुंच चुका है। भारतीय बल्लेबाजों के आक्रामक खेल ने इस मैच में जान डाल दी है, जहां तीनों नतीजे आ सकते है।
पिछले कुछ समय से टेस्ट क्रिकेट खेलने का तरीका बदला है। WTC के आने के बाद टीमें अब रिजल्ट के लिए खेलती हैं जिससे उन्हें सीज़न के अंत तक ज़्यादा से ज़्यादा अंक हासिल हो सकें। जीत पर आपको पूरे अंक मिलते हैं जबकि ड्रॉ होने पर अंक बंट जाते हैं जो कम से कम ऑस्ट्रेलिया, इग्लैंड और भारत जैसी मजबूत टेस्ट टीमें नहीं चाहेंगी। खासकर तब जब यह टीमें वेस्टइंडीज, बांग्लादेश और श्रीलंका जैसी कम मजबूत देशों के खिलाफ खेल रही हों। दोनों पक्ष मजबूत होने पर मैच ड्रॉ पर भी दोनों देश संतुष्ट हो सकते हैं लेकिन कमजोर टीमों के खिलाफ यह देश जीत से कम तो कुछ नहीं सोचेगें। यह जानते हुए कि वर्ल्ड टेस्ट चैम्पियनशिप भी दांव पर लगी है।
इग्लैंड ‘बैजबाल’ स्टाइल से टेस्ट क्रिकेट खेल रहा है। इंग्लिश बल्लेबाजों ने वनडे शैली को टेस्ट में जगह दी है और कभी-कभी तो टी-20 के स्ट्राइक रेट से रन बटोर रहे है। एशेज के पहले मैच में कप्तान बेन स्ट्रोक ने जिस मोड़ पर टीम की पारी घोषित की उसमें सवाल उठे और आखिरकार कप्तान के इस फैसले की निंदा तब ज्यादा हुई जब इग्लैंड वह मैच भी हार गया। बेन स्ट्रोक पहले ही कह चुके है कि वह ड्रा के लिए नहीं खेलेगें। हमने देखा है कि बारिश के खलल की वजह से मैचों का परिणाम नहीं निकल पाता है लेकिन अटैकिंग क्रिकेट खेलने पर बारिश के प्रभाव को कम किया जा सकता है। जो रन टीमें 90 ओवरों में बनाती थी वह अब 60 से 70 ओवरों में भी बन सकते है। पाकिस्तान ने श्रीलंका के खिलाफ पहले टेस्ट में बिल्कुल बैजबाल अंदाज में बैटिंग की जिससे लगा कि इग्लैंड का अग्रेसिव माइंडसेट दूसरे देश भी अपना रहें हैं।
टेस्ट में भी आक्रामक बल्लेबाज
टेस्ट में बदलते समीकरणों को देखे तो अब हर टीम में टी-20 शैली के बल्लेबाज भी दिखते है। ऑस्ट्रेलिया में ट्रेविस हेड और मिचेल मार्श हैं भारत में भी रिषभ पंत और अब यशस्वी जायसवाल, शुभमन गिल जैसे खिलाड़ी है जो सकारात्मक सोच के साथ-साथ आक्रामक अंदाज में बैटिंग करते है। इग्लैंड की टीम में तो पुरानी सोच के टेस्ट खिलाड़ी बचे नहीं, यहां तक कि जो रूट को भी ब्रैंडन मैक्कुलम के नये फार्मूले में फिट होने के लिए अपनी बल्लेबाजी में कुछ बदलाव करने पड़े। कहा जा सकता है कि क्रिकेट का सबसे लंबा और पुराना फार्मेट अपने एक नये दौर में प्रवेश कर चुका है।