आर्यन कपूर

पर्थ टेस्ट के लिए भारत की प्लेइंग 11 को लेकर कई तरह की बातें की जा रही हैं। एक तरफ मिडिल ऑर्डर भारतीय मैनेजमेंट के लिए चिंता का सबब है तो दूसरी ओर गेंदबाजी का कॉम्बिनेशन बनाना भी टीम की लिए बड़ी चुनौती होगी।

दो स्पिनर मजबूरी      

पर्थ टेस्ट के लिए भारत के लिए दो स्पिनरों के साथ जाना मजबूरी बनता हुआ दिख रहा है। एक तरफ मिडिल ऑर्डर की चुनौती से निपटना तो दूसरी तरफ पर्थ की तेज और उछाल वाली पिच पर दो स्पिनरों को टीम में शामिल करना भारतीय टीम के लिए सिर दर्द बना हुआ है। रवींद्र जडेजा का प्लेइंग XI में रहना तय माना जा रहा है क्योंकि उनकी बल्लेबाजी लोअर ऑर्डर में बैलेंस लाने का काम करती है। जडेजा के साथ भारतीय टीम अनुभवी रविचंद्रन अश्विन के साथ जा सकती है। इसके अलावा वॉशिंगटन सुंदर भी एक अच्छा ऑप्शन हो सकते हैं। ऑस्ट्रेलिया में सुंदर के पास खेलने का उतना अनुभव तो नहीं है लेकिन उन्होंने गाबा में भारत के लिए शानदार प्रदर्शन किया था।

अश्विन का टीम में होना भी काफी फायदेमंद हो सकता है क्योंकि जडेजा और उनकी जोड़ी बल्लेबाजों के लिए मुश्किल पैदा करती है लेकिन सवाल खड़ा होता है कि पर्थ जैसी तेज और उछाल जैसी पिचों पर भारतीय टीम दो स्पिनरों के साथ जाएगी।

हर्षित राणा या नीतीश रेड्डी 

पर्थ की पिच पर तेज गेंदबाजों को अतिरिक्त उछाल और गति मिलती है ऐसे में भारतीय टीम चार तेज गेंदबाजों के साथ जा सकती है। हर्षित राणा और नीतीश रेड्डी दोनों ही चौथे गेंदबाज का विकल्प हो सकते हैं लेकिन हर्षित राणा की बल्लेबाजी और नीतीश रेड्डी की गेंदबाजी उतनी मजबूत नहीं है। ऐसे में भारत का दो स्पिनरों के साथ जाना मजबूरी बन जाता है। जडेजा और अश्विन की जोड़ी अनुभवी जरूर है लेकिन पर्थ की विकेट पर कितनी कारगर साबित होगी यह देखना दिलचस्प होगा। स्वाभाविक तौर पर भारतीय टीम लंबी बल्लेबाजी के साथ जाना चाहेगी क्योंकि शुभमन गिल और रोहित शर्मा का टीम में न होना बल्लेबाजी को कमजोर करता है।

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