आर्यन कपूर

BCCI ने यह साफ कर दिया है कि भारत चैम्पियंस ट्रॉफी के लिए पाकिस्तान नहीं जाएगा। इसे लेकर पाकिस्तान की मीडिया से कई खबरें आ रही हैं कि अगर भारतीय टीम टूर्नामेंट के लिए पाकिस्तान नहीं आती तो पाकिस्तान चैम्पियंस ट्रॉफी से नाम वापस ले सकता है।

भारत के फैसले के बाद बवाल   

चैम्पियंस ट्रॉफी के लिए पाकिस्तान जाने के लिए बीसीसीआई ने इंकार कर दिया था जिसके बाद ICC ने पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड के सामने हाइब्रिड मॉडल का विकल्प रखा था जिसे PCB ने सिरे से खारिज कर दिया। अब पाकिस्तान के अखबार डॉन ने अपनी वेबसाइट पर लिखा है कि अगर भारतीय टीम चैम्पियंस ट्रॉफी के लिए पाकिस्तान नहीं आती तो पाकिस्तानी टीम टूर्नामेंट से अपना नाम वापिस ले सकती है। अगर यह खबरें सच होती हैं तो सवाल खड़ा होगा कि चैम्पियंस ट्रॉफी किस देश में होगी। हालांकि खबरें यह भी आ रही हैं कि पाकिस्तान के नाम वापिस लेने के बाद चैम्पियंस ट्रॉफी साउथ अफ्रीका में शिफ्ट हो सकती है।

क्यों बढ़ा विवाद?

दरअसल, BCCI ने भारत सरकार के सुझाव पर टीम को पाकिस्तान भेजने से इंकार कर दिया था। भारत सरकार ने खिलाड़ियों की सुरक्षा का हवाला देते हुए यह सुझाव दिया था। भारत के पाकिस्तान न जाने के फैसले के बाद विवाद काफी बढ़ता हुआ दिखाई दे रहा है। एक तरफ पाकिस्तानी मीडिया पाकिस्तान के टूर्नामेंट से किनारा करने की बात कर रही है तो दूसरी तरफ यह उम्मीद भी कर रही है कि भारतीय टीम पाकिस्तान आए।

जब कोई देश सुरक्षा कारणों की वजह से दूसरे देश में खेलने से इंकार करता है तो ICC के लिए यह मुद्दा गम्भीर बन जाता है। यह पहली बार नहीं है जब क्रिकेट में इस तरह की कोई घटना सामने आई हो। इससे पहले साल 1996 में भी ऑस्ट्रेलिया और वेस्टइंडीज़ ने वर्ल्ड कप के दौरान श्रीलंका जाने से मना कर दिया था। अगर पाकिस्तान हाइब्रिड मॉडल के लिए राज़ी नहीं होता तो इसका नुकसान उन्हीं को भुगतना पड़ सकता है। जानकारी के मुताबिक पीसीबी ने चैम्पियंस ट्रॉफी की तैयारियों के लिए 1300 करोड़ का खर्च किया। इसके अलावा भी रेवेन्यू मॉडल को ध्यान में रखा जाए तो यह पाकिस्तान के लिए काफी मुश्किल का सबब बन सकता है।

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