जो भारतीय स्पिनर तिकड़ी अपनी पिचों पर निर्णायक साबित होती थी, वही स्पिन तिकड़ी हैदराबाद में पिछले टेस्ट में खासकर ओली पोप और पुछल्ला बल्लेबाज़ों के सामने असहाय साबित हुई। वहीं पहला टेस्ट खेल रहे हार्टले दुनिया के आला दर्जे के बल्लेबाज़ों के लिए हौवा साबित हुए। आखिर क्या है इसकी वजह?
दरअसल इंग्लैंड का हमारी कंडीशंस को समझने के लिए बेहतर होमवर्क था। जिस जडेजा और अश्विन की जोड़ी ने भारत को अपनी पिचों पर रिकॉर्डतोड़ कामयाबी दिलाई और वहीं इंग्लैंड के पिछले भारत दौरे में अश्विन की विविधतापूर्ण और अक्षर पटेल की स्ट्रेटर-वन के सामने भारत चेन्नै टेस्ट हारने के बाद अगले तीनों टेस्ट जीतने में सफल रहा था। वहीं इस बार तीनों गेंदबाज़ों पर पोप एंड कम्पनी ने जैसे चाहे, वैसे शॉट खेले। यहां तक कि स्वीप और रिवर्स स्वीप के मामले में वह इन तीनों की कला को नाकाम करने में सफल रहे।
जहां भारतीय गेंदबाज़ों को धीमी पिच मिलती हैं और जहां गेंद नर्म पड़ जाती है तो खासकर भारतीय स्पिनरों को जूझना पड़ता है। हैदराबाद में भी ऐसा ही हुआ। खासकर जडेजा और अश्विन की सीम दूसरी स्लिप की ओर थी जिससे उन्हें उतना टर्न नहीं मिला जितना कि टॉम हार्टले को मिला। इसकी बड़ी वजह यह थी कि हार्टले की सीम पोज़ीशन पॉइंट की तरफ थी, जिससे वह गेंद को ज़्यादा घुमाने में सफल रहे। विशाखापट्टनम में इन्हीं सब पहलुओं पर खासकर भारतीय स्पिनरों को काम करना है।
हार्टले बाएं हाथ के स्पिनर हैं। पिछले कुछ समय से भारतीय बल्लेबाज़ खासकर बाएं हाथ के स्पिनरों और तेज़ गेंदबाज़ों के सामने जूझते दिखाई दिए हैं। यही हार्टले जब कहते हैं कि उन्होंने अश्विन और जडेजा की वीडियो देखकर अपने खेल को चमकाया है तो यह बात हमारे स्पिनरों और बल्लेबाज़ों दोनों के लिए खास बन जाती है। इंग्लैंड के बल्लेबाज़ों की खासकर भारतीय स्पिनरों के सामने स्वीप और रिवर्स की तैयारी कारगर रही। आप स्वीप शॉट्स पर अंकुश लगाने के लिए तो फील्ड सेट कर सकते हैं लेकिन रिवर्स स्वीप के लिए क्या करेंगे जब इंग्लैंड के बल्लेबाज़ जहां ऑन साइड पर उन्हें बड़ा गैप मिलता, वहीं से वह गेंद को सीमा रेखा के पार पहुंचा रहे थे। वैसे इस कला में कुलदीप यादव पारंगत हैं। वह ऐसी फील्ड लगाते हैं, जिसमें एक लेग स्लिप होती है और एक फील्डर शॉर्ट मिडविकेट या शॉर्ट मिडऑफ पर होता है और करीब दो फील्डर वह डीफ मिडविकेट और डीप फाइन लेग पर लेते हैं और उसी फील्ड के अनुकूल वह गेंदबाज़ी करते हैं। ज़ाहिर है कि कुलदीप यादव की टीम इंडिया को ज़रूरत है। अनफिट जडेजा की जगह उन्हें शामिल करने से भारत की बल्लेबाज़ी ज़रूर प्रभावित होगी लेकिन ऐसा भी किया जा सकता है जो इंग्लैंड कर रहा है। यानी केवल एक तेज़ गेंदबाज़ से काम चलाना। सिराज की जगह कुलदीप अगर टीम में आते हैं और जडेजा की जगह वाशिंग्टन सुंदर या सौरभ कुमार आते हैं तो टीम काफी बैलेंस हो जाएगी। सुंदर बेहतरीन बल्लेबाज़ हैं जो चार टेस्ट में तीन हाफ सेंचुरी लगा चुके हैं लेकिन रेड बॉल क्रिकेट में उनकी गेंदबाज़ी उतनी प्रभावी नहीं है जितना कि व्हाइट बॉल क्रिकेट में। दूसरा विकल्प सौरभ कुमार हैं जिन्होने हाल में इंग्लैंड लॉयन्स के खिलाफ हाफ सेंचुरी बनाई है। फर्स्ट क्लास क्रिकेट में दो सेंचुरी के अलावा वह 290 विकेट चटका चुके हैं। इतना तय है कि इंग्लैंड को हम इसी स्पिन के जाल में फांस सकते हैं लेकिन शुभमन गिल और श्रेयस अय्यर से इस बार बड़ी पारी की दरकार है।