अभी तक उंगलियों के फनकार को ही क्रिकेट के सबसे छोटे फॉर्मट में पॉवरप्ले में गेंदबाज़ी के लिए जाना जाता था। भारत में भी रविचंद्रन अश्विन और वाशिंग्टन सुंदर ने समय-समय पर पहले छह ओवरों में गेंदबाज़ी की लेकिन खासकर कलाइयों का कोई फनकार पॉवरप्ले में नियमित गेंदबाज़ी करते हुए नहीं देखा गया था। मगर रवि बिष्णोई ने इसकी भी भरपाई कर दी है और उन्होंने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टी-20 सीरीज़ में पहले छह ओवरों में पांच और कुल नौ विकेट चटकाकर टीम इंडिया के लिए खासकर इस फॉर्मेट के वर्ल्ड कप के लिए उम्मीदें जगा दी हैं।
रवि ने शुरुआती ओवरों में मैथ्यू शॉर्ट और जोश इंग्लिस को दो-दो बार आउट किया। हालांकि इंग्लिस को उन्होंने एक मौके पर सातवें ओवर की दूसरी गेंद पर आउट किया। ये वही इंग्लिस हैं जिन्होंने विशाखापत्तनम में खेले गए पहले टी-20 में भारत के खिलाफ सेंचुरी बनाई थी। अन्य मौकों पर उन्होंने पॉवरप्ले में जोश फिलिप्पे और ट्रेविस हैड के विकेट चटकाए। इनमें मैथ्यू शॉर्ट, जोश इंग्लिस और हैड को उन्होंने गुगली पर आउट किया। लेंग्थ में बदलाव और गति परिवर्तन उनकी गेंदबाज़ी की बड़ी खूबी है। ज़्यादातर वह विपक्षी बल्लेबाज़ों को अपनी गुगली के जाल में ही फंसाते हैं।
रवि बिष्णोई को रनों पर नियंत्रण रखना भी बखूबी आ गया है। अगर उन पर चौके-छक्के लगते हुए आप देखें तो समझ लीजिए कि विकेट गिरने वाला है। आखिरी टी-20 में ट्रेविस हैड छक्का लगाते ही अगली गेंद पर आउट हुए। उनकी गेंदबाज़ी पर पाकिस्तान के पूर्व लेग स्पिनर मुश्ताक अहमद और अफगानिस्तान के लेग स्पिनर राशिद खान का काफी प्रभाव है। उनका एक्शन बिल्कुल मुश्ताक जैसा है। गेंद को रिलीज़ करने के साथ ही दोनों अपने हाथों को ऊपर की ओर उठाते हैं। बायां हाथ बॉलिंग आर्म को पूरी तरह से ढक देता है जिससे बल्लेबाज़ इस बात का सही तरीके से अंदाज़ा नहीं लगा पाता कि गेंद गुगली आएगी या लेग स्पिन होगी। हालांकि मुश्ताक चतुराईपूर्ण तरीके से बीच-बीच में लेग स्पिन भी किया करते थे जिससे वह ज़्यादा असरदार साबित हुए। टोरंटो में भारत के खिलाफ पांचवें वनडे मैच में उन्होंने मोहम्मद अज़हरूद्दीन और राहुल द्रविड़ सहित कुल पांच खिलडियों को आउट किया। इसी तरह 1996 में शारजाह में भी उन्होंने इन दोनों बल्लेबाज़ों सहित कुल चार विकेट चटकाए थे और मैच का रुख पाकिस्तान की ओर मोड़ दिया था। रवि भी खासकर अपने पहले ओवर में विकेट चटकाकर मैच का रुख भारत की ओर करने के लिए जाने जाते हैं।
इतना ही नहीं, राशिद खान की ही तरह रवि की भी विकेट चटकाने वाली गेंदें ज़्यादातर गुगली होती हैं। राशिद दोनों ओर गेंद को स्पिन कराने की कला भी बखूबी जानते हैं। यहीं रवि को सीखने की ज़रूरत है। आशंका इस बात की है कि कहीं गुगली करते करते वह कई टाइप्ड श्रेणी के गेंदबाज़ बनकर न रह जाएं क्योंकि उनकी लेग स्पिन यदा-कदा ही दिखाई देती है। दूसरे उन्हें अपने आदर्श शेन वॉर्न की तरह ही फ्लिपर गेंदों की आदत भी डालनी होगी। जिस तरह अक्षर पटेल की स्ट्रेटर गेंदें सबसे ज़्यादा असरदार होती हैं। उसी तरह रवि लेग स्पिन और स्ट्रेटर-वन बीच-बीच में डालने पर और भी ज़्यादा असरदार साबित हो जाएंगे। ज़ाहिर है कि उनमें विश्व स्तर का गेंदबाज़ बनने के खूबी है। अगर वह इस दौरान अपनी बल्लेबाज़ी में सुधार कर लेते हैं तो यह सोने पर सुहागे की तरह होगा।