किसी भी मैच की सफलता में टीम मैनेजमेंट की नीतियों का बड़ा हाथ होता है।
मगर वेस्टइंडीज़ दौरे के पहले टेस्ट में लगता है कि भारतीय टीम मैनेजमेंट
कंडीशंस का सही अंदाज़ा नहीं लगा सका। सबसे बड़ा फैसला तीन तेज़ गेंदबाज़
और दो स्पिनरों का खिलाना था। यानी एक अतिरिक्त तेज़ गेंदबाज़ खिलाने के
फैसले का किसी भी लिहाज से बचाव नहीं किया जा सकता।
डोमिनिका में खेले जा रहे पहले क्रिकेट टेस्ट में भारतीय गेंदबाज़ों ने
कुल 64.3 ओवर की गेंदबाज़ी की जिसमें स्पिनरों ने 38.3 ओवर की गेंदबाज़ी
की। ज़ाहिर है विकेट पहले ही दिन स्पिन ले रहा था। वैसे भी विंडसर पार्क
में जो पांच टेस्ट अब तक खेले गए हैं, उनमें टॉप पांच विकेट चटकाने वाले
गेंदबाज़ों में से चार स्पिनर ही हैं। इस पारी में भी दस में से आठ विकेट
स्पिनरों के खाते में गए। टॉस के समय यह विकेट सूखी दिखाई दे रही थी।
ज़ाहिर है कि राहुल द्रविड़ और रोहित शर्मा विकेट को सही से पढ़ नहीं
पाए।
विकेट के स्पिन फ्रेंडली होने का आलम यह था कि केवल आठ ओवर के बाद ही
रोहित शर्मा ने अश्विन को गेंद थमाई और अश्विन ने पहले दोनों विकेट
चटकाकर कप्तान के भरोसे को सही साबित किया। लंच तक तो मामूली टर्न मिल
रहा था लेकिन लंच के बाद खासकर अश्विन ने सात डिग्री तक गेंद को घुमाया।
दूसरे छोर से जडेजा ने भी ब्रेथवेट सहित कुल तीन खिलाड़ियों को आउट किया।
यानी दस में से आठ विकेट जहां स्पिनरों को पहले दिन मिल रहे हों, वहां
तीन तेज़ गेंदबाज़ों को खिलाना और दो स्पिनर खिलाना वाकई एक अधूरी सोच को
दर्शाता है। यह हालत भी तब है जबकि अक्षर पटेल का विकल्प भी मौजूद था।
ऐसी स्थिति में शार्दुल की जगह अगर अक्षर टीम में होते तो यह मौजूदा
कंडीशंस में एक आदर्श सोच होती। पहले दिन शार्दुल ठाकुर और जयदेव उनादकट
से केवल सात-साच ओवर की गेंदबाज़ी कराई गई। यह इस मैच की कंडीशंस को
बताने के लिए काफी है।
वैसे कंडीशंस को सही तरीके से पढ़ने में वेस्टइंडीज़ के कप्तान ब्रेथवेट
भी पीछे रहे। टॉस जीतकर पहले बल्लेबाज़ी करने का फैसला उनका बहुत
अजीबोगरीब था और वह भी तब जबकि पहले दिन डोमिनिका के विकेट पर गेंदबाज़ों
को मदद मिलती रही हो। पिच के ड्राई कंडीशंस का भी दोनों कप्तान अंदाज़ा
नहीं लगा पाए।